वेदों का ज्ञान हो!
शौनक नाम से एक प्रसिद्ध महर्षि थे, जो बड़े भारी विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता थे। पुराणों के अनुसार उनके ऋषिकुल में अठासी हजार ऋषि रहते थे। वे ब्रह्म विद्या को जानने के लिए अंगिरा ऋषि की शरण में आए| उन्होंने अत्यंत विनयपूर्वक महर्षि से पूछा- 'भगवन! जिसको भलीभांति जान लेने पर यह जो देखने-सुनने में आता है, सबका सब जान लिया जाता है, वह परम् तत्व क्या है? कृपया बतलाइए, इसे कैसे जाना जाए।' इस प्रकार शौनक ऋषि के पूछने पर महर्षि अंगिरा बोले- 'शौनक! ब्रहम को जानने के लिए मनुष्य को जानने योग्य दो विद्याएं हैं- ‘परा और अपरा। ' उन दोनों में से जिसके द्वारा लोक और परलोक संबंधी भोगों और उनकी प्राप्ति के साधनों का ज्ञान प्राप्त किया जाता है, वह अपरा विद्या है। जैसे चारों वेद-ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद। इनमें नाना प्रकार के यज्ञों की विधि का और उनके फल का विस्तारपूर्वक वर्णन है। यह दु:ख की बात है कि आज वेद की सभी शाखाएं उपलब्ध नहीं हैं और उनमें बताई गई विज्ञान संबंधी बातों को समझाने वाले भी नहीं हैं। महान् वेदों को समझने के लिए उनके छह अंगों को समझना आवश्यक है। वेदों का पाठ ...