शिष्टाचार और व्यवहार
1. धन्यवाद’ और ‘कृपया' शब्दों का उदारता से प्रयोग कीजिये।
2. अपने से बुजुर्ग आंगतुक का स्वागत करते हुए खड़े हो जाइए।
3. उधार ली हुई चीजों को समय पर वापस कीजिये।
4. व्यंग्य वचनों का उपयोग न कीजिए।
5. रहस्यों को अपने तक रखिए, उनको बताने के लोभ से बचिए। अपने घनिष्ठ मित्र को भी कोई रहस्य बताने से पहले दो बार विचार कीजिए।
6. जो लोग आपके चारों ओर रहते हैं, उनके नाम याद रखिए।
7. निजी गोपनीयता का आदर कीजिएकिसी के कमरे में जाने से पहले दरवाजा खटखटाइए।
8. आप सहमत हों या असहमत जब लोग बोल रहे हों, तो उनके बीच में टोकने की प्रवृत्ति को रोकिए। चाहे वह चीज आप पहले से जानते हो इया नहीं, ध्यान से और पूरी तरह सुनिए। अपनी बारी आने पर ही बोलिये।
9. क्रोध किये बिना असहमत होना चाहिए।
10. समय की पाबन्दी कीजियेबैठकों को निश्चित समय पर करिए।
11. जब तक पूछा न जाये, लोगों को बिना मतलब सलाह न दीजिए12. अपने शब्दों और वचनों का पालन कीजिये।
13. काम या व्यापार की बात सड़क पर न करिये।
14. प्रशंसा सबके सामने करिये और आलोचना एकान्त में।
15. समय और परिस्थिति के अनुसार इन वाक्यों को कहने में संकोच न करिये कि 'मुझे खेद है' अथवा 'मुझसे गलती हुई' या 'मुझे सहायता की आवश्यकता है' या 'मैं नहीं जानता।
16. उस समय भी प्रसन्नता दिखाना सीखिए, जबकि आप वैसा अनुभव नहीं करते।
17. कौन गलत या सही है, इसकी चिन्ता कम कीजिये जबकि 'क्या सही है' इसकी चिन्ता ज्यादा कीजिये।
18. किसी से यह कभी न कहिएकि वह थका हुआ, उदासीन या बीमार दिखाई देता है।
19. किसी के द्वारा दी गई सहायता के लिए उसके प्रति आभार तथा कृतज्ञता प्रकट कीजिये।
20. उधार लिया हुआ वाहन उसके पेट्रोल टैंक को पूरा भर कर वापस कीजिए
21. काम पर समय से आइए और छुट्टी से पहले न जाइए।
22. आपने हर वस्तु जिस स्थिति में ली है, उसी स्थिति में लौटाइए
23. कुछ समय केवल अपने परिवार के लिए पूरी तरह सुरक्षित रखिए और उन्हें अपने शब्दों तथा कार्यों से यह जताइए कि आप उन्हें प्यार करते हैं और वे आपके लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण हैं।
अत्यन्त महत्वपूर्ण हैं।
24. जब आलोचना करने का लोभ आये तो अपनी जुबान बन्द रखिये।
25. निर्णय लेने से पहले दोनों पक्षों को सुन लीजिये। ये छोटी-छोटी दिखायी देने वाली बातें समय पर और दूसरों के ऊपर बहुत प्रभाव डालती है