संकटमोचन नाम तिहारो
संकटमोचन नाम तिहारो
र्वप्रथम आप सभी को गीता जयंती, श्रीराम विवाहोत्सव एवं क्रिसमस की हार्दिक बधाई। इस बार के तीनों ही पर्व अत्यंत ही सामयिक हैं। आप जानते हैं श्रीमद्भागवत् गीता को समस्त ग्रंथों में पुरुष की संज्ञा दी गई है। इस वक्त जिस तरह से समाज में स्पष्ट विभाजन दिख रहा है, उसमें गीता संदेश ही एका करा सकने में सफल होगा। इसके बाद आते हैं श्रीराम विवाहोत्सव पर। हम जानते हैं इस समय पूरे देश की नजर अयोध्या पर है, जहां अभी हाल में धर्म संसद हुई और सरकार एवं सर्वोच्च न्यायालय पर श्रीराम मंदिर निर्माण शुरू कराने की अनुमति देने का दबाव डाला गया। क्या होगा यह तो भगवान् ही जानें, किंतु लोग थोड़े-से डर तो गए ही हैंजबकि प्रभु श्रीराम हर हालत में धीरज एवं मर्यादा धारण करने की सीख देते हैं। और तीसरा पर्व है क्रिसमस का। यह भी हमें प्रेम, मिलनसारिता एवं भाईचारा बढ़ाने-फैलाने की सीख देता है। हम मानव ऐसा नहीं कर पाएं तो दूसरी बात है। नववर्ष भी आनेवाला है। इंग्लिश मत रखनेवाले बंधुओं को नववर्ष की बधाई। हालांकि हाल में दो बातें हुई, जिसने हमें नववर्ष अथवा नूतनता का एहसास कराया। इसमें एक है जोड़नेवाला और दूसरा है तोड़नेवाला। जोड़नेवाली बात यह हुई है कि पाकिस्तान के करतारपुर में स्थित गुरुद्वारा दरबार साहिब से लेकर भारत के गुरदासपुर जिले में स्थित डेरा बाबा नानक गुरुद्वारा तक एक खास गलियारे का निर्माण किया जाएगा, जो कि समस्त सिख समुदाय के लिए अत्यंत हर्षकारी कदम है। यह हुई दिलों को जोड़ने वाली बात, लेकिन जब ऐसा हो रहा था तभी देश में एक चर्चा उठी कि प्रभु श्री हनुमान जी की जाति क्या थी? हमें यह समझ नहीं आता कि जिस समय-काल में हम प्रभु श्रीराम का भव्य मंदिर बनाने की बात कर रहे हैं, ठीक उसी समय-काल में हम श्री हनुमान जी की जाति पर बहस कर रहे हैं। जबकि कलियुग के एकमात्र जीवित देवता श्री हनुमान जी ही हैं और ऐसा आदेश उन्हें स्वयं प्रभु श्रीराम ने दिया। यह तो सही है कि हमारा समाज बतरस समाज है और तर्कवाद में भरोसा करता है। लेकिन यह भी सच है कि हमारा समाज विश्वास करने वाला समाज है और रैदास, कबीरदास सभी को समान भाव से पूजने वाला समाज है। और यदि फिर भी जाति ही समझनी है तो श्री हनुमान जी की जाति संकटमोचक है। हर कोई जो हमारे दैहिक-दैविक-भौतिक ताप हर ले, सभी भव-बाधा दूर कर दे, संकटमोचक जाति का ही होगा। और श्री हनुमान जी का तो नाम ही संकटमोचन है- 'संकटमोचन नाम तिहारो। तो हमें इस बात को समझना होगा, कि यदि हम अगली पीढ़ी में संस्कार भाव जगाने का काम करना चाहते हैं, आस्था भाव जगाना चाहते हैं तो करतारपुर गलियारे का निर्माण तो कराएं, लेकिन अपने निजी स्वार्थ के लिए श्री हनुमान जी की जाति न पूछे। क्योंकि इससे धर्म की रक्षा न हो सकेगी, उल्टे इससे समाज टूटेगा। और क्या पता कल को हमारी संतानें भरी सभा में हमारी ही जाति पूछने लग जाए...हमें ही लांछित करने लग जाए...
ॐ पूर्णमिदः पूर्णमिदं पूर्णात् पूर्णमदुच्यते पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवा वशिष्यते
शान्ति शान्ति शान्ति ।
मुख्य संपादक
रश्मि मल्होत्रा
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