वातावरण का ताप कैसे कम हो


आप सभी सुधी पाठकों को गुरु पूर्णिमा की हार्दिक बधाई। इसी माह में सावन मास की शुरुआत हो रही है। साथ ही देवशयनी एकादशी शुरू होने से चौमासी चौदस भी शुरू हो जाएगा। यानी इस माह में सभी सकारात्मक ऊर्जा संसार से संबंध विच्छेद कर एकांतवास करेंगी और देवउठनी एकादशी के बाद ही सांसारिक दुनिया में प्रवेश करेंगी। इसका मतलब यह हुआ कि अगले चार महीने सांसारिक गृहस्थों को अपनी देखभाल स्वयं करनी होगी।


गृहस्थ कहेंगे, इसमें क्या दिक्कतें हैं? ये तो हम करते ही रहे हैंअसल में जब देवतुल्य सकारात्मक ऊर्जाएं सांसारिक गृहस्थों के बीच रहती हैं तो दैहिक, दैविक एवं भौतिक तापों के निस्तारण के उपाय बताती रहती हैं, इससे सांसारिक गृहस्थों का जीवन आसान होता चला जाता है और उन्हें एहसास तक नहीं होता कि उनकी दिक्कतें कैसे इतनी आसानी से दूर हो गईं


अपनी बातों के समर्थन में दो बातें कहना चाहूंगी। अभी हरियाणा सरकार ने अपने प्राथमिक स्कूलों में एक व्यवस्था की है कि बच्चों को सप्ताह में निश्चित दिन रामायण, महाभारत आदि पौराणिक आख्यान सुनाए-समझाए जाएंगे, ताकि उनमें समरस सनातक संस्कृति का शाश्वत बोध हो सके। इससे सांसारिक गृहस्थों के दैविक एवं भौतिक ताप कम होंगे, अर्थात् जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का अधिक संचार होगा। इसी मिशन के तहत मैंने एक लघु पुस्तिका की रचना की है- आओ पढ़ें आगे बढ़ेइससे बच्चों में नैतिक बल का उदय होगा, जिससे जब वे सांसारिक जीवन में प्रवेश करेंगे, तो स्वतः ही दैविक एवं भौतिक ताप की मार से बचे रहेंगे।


अब बात आती है दैहिक ताप की। तो इसे कम करने के कई उपकम हैं, उपाय हैं। जैसे कि एक प्रयोग तो इंदौर में चल रहा है। वहां पिछले साल खोला गया 'भड़ास कैफे'। इस 'भड़ास कैफे' में जाकर आप अपना गुस्सा उतार सकते हैं। आप वहां जाएं, आपको वहां रखी जो चीजें तोड़नी हैं, तोड़िए, अपना फ्रस्टेशन उतारिए, फ्रस्टेशन उतारने के पश्चात उसके पैसे चुकाइए, और खुशी-खुशी घर आइए। फीस बहुत मामूली है। मगर इसके रिजल्ट बड़े सकारात्मक आ रहे हैं। फर्ज करें कि ऑफिस में बॉस को आप बहुत बुरा कहना चाह रहे हैं, लेकिन हिम्मत नहीं हो रही, क्योंकि नौकरी का सवाल है। ऐसे में आप 'भड़ास कैफे' जाकर वहां रखे पुराने टीवी, फ्रिज आदि तोड़कर आ जाते हैं, बिलकुल टेंशन फ्री होकर। इससे आपका दिमाग संतुलित रहता है, दैहिक ताप शून्यतर होता है। हालांकि ऐसे प्रयोग दिल्ली जैसे महानगर में ज्यादा करने की जरूरत है, जहां पूरी लाइफ ही टेंशन से भरी है। हालांकि इसका एक अन्य उपाय भी है। और वह उपाय यह है कि हम अपनी दिनचर्या सही करें, मसलन जल्दी सो जाएं और जल्दी उठ जाएंऔर अपने आस-पास पेड़ लगाएं। क्योंकि हरियाली रहेगी तो वातावरण का तापमान कम होगा, और जब वातावरण का तापमान कम होगा, धरती का तापमान भी घटेगा, इससे प्रदूषण जैसी जीवनाशी बीमारी अपनेआप नष्ट हो जाएगीआशा है आप वातावरण का ताप करने के बारे में विचार करेंगे।


ॐ पूर्णमिद; पूर्णमिदं पूर्णात् पूर्णमदुच्यते  पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवा वशिष्यते


 ॐ शान्ति शान्ति शान्ति


रश्मि मल्होत्रा


मुख्य संपादक ओम्


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