एक बार का लिखा सौ झंझटों से बचाता है

 


' पगचिन्ह



भारतीय व्यापारी वर्ग की शुरू से ही एकमत परम्परा रही है कि पहले लिख पाछे दे, भूल पड़े तो कागज से ले। जो व्यक्ति इस नियम की अवहेलना करता है, वह व्यापार में कभी सफल नहीं हो सकता और अपनी पूंजी लुटा बैठता है।


कहने को तो यह बड़ी बात साधारण सी मालूम होती है, परन्तु जब कोई परेशानी खड़ी हो जाती है तो आपका लिखा हुआ गवाही की तरह काम आता है और सामने वाले को निरूत्तर कर देता है, इसलिए कहा है 'एक लिखा-सौ झका'। एक गिलास पानी को तीस सेकेंड तक हाथ में पकड़े रहें तो मालूम भी नहीं पड़ता, 30 मिनट पकड़े तो कुछ दर्द महसूस होगा, 3 घंटे तक रखने में परेशानी होगी तथा 30 घंटे तक पानी का गिलास हाथ में पकड़े रहेंगे तो अवश्य ही हाथ में लकवा मार जायेगा। बिल्कुल यही बात हमारे मस्तिष्क पर भी लागू होती है। सुबह से शाम तक कितनी ही तरह के कामों के बारे में दिमाग में बातें रखनी होती हैं, साथ ही मस्तिष्क में और भी तरह की बातें घूमती रहती हैं। इन सब बातों का धीरे-धीरे मस्तिष्क पर एक बोझ सा बनता चला जाता है, परिणामस्वरूप स्वभाव में चिड़चिड़ापन, टेंशन, रक्तचाप का कम या ज्यादा होना इत्यादि रोग घर कर जाते हैं


इन सब परेशानियों का एकमात्र इलाज है। अपने साथ हमेशा एक डायरी और पेन रखने की आदत। अपने कार्य संबंधी सभी बातें, लेन-देन व भविष्य के कार्यक्रमों के साथ-साथ मस्तिष्क में उठने वाली अच्छी-अच्छी विचारधारायें अपनी इस दोस्त रूपी डायरी में लिख डालें और हर वक्त अपने पास रखने की कोशिश करें रात को सोते समय भी तकिये के नीचे डायरी व पेन होना चाहिए। क्योंकि कई बार कोई बड़ी ही महत्वपूर्ण बात या कोई दुर्लभ वाक्य अचानक दिमाग में आता है, अगर वह उसी समय न लिखा जाए तो फिर सोचने पर भी याद नहीं आता। इस दोस्त रूपी डायरी में लिखीं बातें आपको भविष्य में होने वाली कितनी ही परेशानियों से बचाती हैं और मूक गवाह बनकर आपकी सच्चाई पर मुहर लगाती हैं।


साथ ही, आपके मस्तिष्क पर अनचाहा बोझ कम करके कार्यकुशलता को बढ़ाती हैं। ऐसी ही एक घटना सन् 1997 की है। उस समय रमेश जी का ऑफिस पहाड़गंज में था। स्टाफ दोपहर को लंच कर रहा था, उसी समय किसी ग्राहक का फोन आया, कुछ घर का सामान दिल्ली से बेंगलुरू भिजवाना था। राधा नाम की लड़की ने टेबल पर खाना खाने के लिए बिछाए गएअखबार पर उस व्यक्ति का फोन नम्बर लिख कर कहा कि मैं आपको 15-20 मिनट में फोन करती हूं। खाना खाने के बाद चपरासी ने उस अखबार को उठा कर टेबल साफ कर कूड़ेदान में फेंक दिया। लगभग एक घंटे बाद उस व्यक्ति का रमेश था। जी के पास फोन आया और उसने वापिस फोन न करने की शिकायत की कि राधा नाम की लड़की ने 15-20 मिनट में फोन करने को कहाराजेश 'चेतन'


याद रखिए । कई बार कोई बड़ी ही महत्वपूर्ण बात या कोई दुर्लभ वाक्य अचानक दिमाग में आता है, अगर वह उसी समय न लिखा जाए तो फिर सोचने पर भी याद नहीं आता।


तभी उन्होंने राधा को बुलाया, उसे अपनी भूल याद आई और उसने चपरासी से कहा कि कूड़ेदान में से वह अखबार लेकर आओ। चपरासी ने मना कर दिया। आखिरकार राधा स्वयं उस कूड़ेदान में उस अखबार को ढूंढने लगी। पर तब तक अखबार गीला होकर खराब हो चुका था। अपनी इस लापरवाही से वह बहुत लज्जित हुई। उसी दिन रमेश जी ने शाम को सारे स्टाफ की मीटिंग बुलाकर सबको डायरी और पेन रखने की शपथ दिलाई और यह नियम अग्रवाल मूवर्स ग्रुप की सफलता का द्योतक बन गया।


वास्तव में, एक बार यदि किसी लेन-देन व बातचीत को ढंग से लिखा जाए तो आवश्यकता पड़ने पर वह लिखा हुआ सौ आदमियों को भी झूठा साबित कर देता है क्योंकि वे आदमी तो केवल बोल रहे हैं परन्तु कागज पर जो लिखा है वह काफी पहले का लिखा हुआ है, वह लिखा हुआ सिर चढ़कर बोलता है और विजयी होता है।


यह बात केवल व्यापारी समुदाय के लिए ही नहीं है बल्कि हम सबको अपने महत्वपूर्ण कार्य, लेन-देन व कोई समझौते आदि को लिख कर रख लेना चाहिए। वरना बाद में पछतावे के सिवा जीवन में कुछ भी शेष नहीं बचता। आदमी हाथ मलता रह जाता है   



वास्तव में, एक बार यदि किसी लेन-देन व बातचीत को ढंग से लिखा जाए तो आवश्यकता पड़ने पर वह लिखा हुआ सौ आदमियों को भी झूठा साबित कर देता है क्योंकि वे आदमी तो केवल बोल रहे हैं परन्तु कागज पर जो लिखा है वह काफी पहले का लिखा हुआ है, वह लिखा। हुआ सिर चढ़कर बोलता है और विजयी होता है।    



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