एक-दूजे से प्यार करें...
कविता
एक-दूजे से प्यार करें,
नहीं कभी तकरार करें,
जीवन में इतने गम हैं
सुख के क्षण मिलते कम हैं,
हर पल का उपयोग करें
एक-दूजे संग योग करें,
आपस में न रार करें,
एक-दूजे से प्यार करें,
अपना चाहा कभी मिला न
जबरन कोई पुष्प खिला न,
फिर भी बाग सजाना होगा ।
ऋतु बसन्त को लाना होगा,
अपनों से मनुहार करें,
एक-दूजे से प्यार करें,
मानव जीवन दुर्लभतम है
समय प्यार का और भी कम है,
आखिर क्यों? हम लड़ाई करें।
एक-दूजे की बड़ाई करें,
नहीं किसी पर वार करें,
एक-दूजे से प्यार करें,
आपस में मिल बात करें।
खुद से ही शुरूआत करें,
साथ-साथ में कदम बढ़ाएं
एक-दूजे से हाथ मिलाएं,
दोनों मिल इकरार करें,
एक-दूजे से प्यार करें,
दोनों की दोनों में चाहत,
कहने से ही मिलती राहत,
फिर क्यों? चौड़ी होती खाई।
आपस में क्यों? करते लड़ाई,
* भावुक" पर ऐतबार करें,
एक-दूजे से प्यार करें...