करन कारन आपे आप मानुष के कुछ नाहीं हाथ।
शंका समाधान
प्रश्नः करन कारन आपे आप मानुष के कुछ नाहीं हाथ। - इसकी व्याख्या कीजिए। पुराणों में लिखा है कि परमात्मा की आज्ञा के बिना एक पत्ता भी हिल नहीं सकता और जो कुछ होता है उसकी इच्छा से होता है। फिर अच्छे बुरे कर्मों का फल मनुष्य को क्यों मिलता है? जबकि उसके वश में कुछ भी नहीं? (खजान सिंह छाबड़ा)
उत्तरः जैसे दुनिया के सब काम सूरज की रोशनी में ही होते हैं, लेकिन सूरज सब कर्मों से परे होता है। उसी तरह ईश्वर की चेतन शक्ति से ही जीव सब कर्म करते हैं, जब यह चेतन शक्ति शरीर का त्याग कर जाती है तो यह शरीर जड़ हो जाता है। और कोई काम काज नहीं कर सकता। परमात्मा की शक्ति सूरज की तरह अलिप्त रहती है। कर्मों का कर्ता-भोक्ता तो जीव ही होता है। यहाँ परमात्मा की आज्ञा का अभिप्राय उसकी चेतन शक्ति से ही लेना चाहिए। जीव परमात्मा का अंश है। पर कर्म करने में स्वतन्त्र है पर उसका फल परमात्मा के अधीन है। इसलिए मनुष्य को चाहिए कि वह ईश्वर की आज्ञा, जो कि वेद शास्त्र हैं, उनके अनुसार शुभ कर्म करे और अशुभ कर्मों का त्याग करे, इसी में कल्याण है।
यहाँ परमात्मा की आज्ञा का अभिप्राय उसकी चेतन शक्ति से ही लेना चाहिए। जीव परमात्मा का अंश है। वह कर्म करने में स्वतन्त्र है, पर उसका फल परमात्मा के अधीन है। इसलिए मनुष्य को चाहिए कि वह ईश्वर की आज्ञा, जो कि वेद शास्त्र हैं, उनके अनुसार शुभ कर्म करे और अशुभ कर्मों का त्याग करे, इसी में कल्याण है। और, यही हमें करना चाहिए
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