योग से आती है असली फिटनेस


आप सभी सुधी पाठकों को निर्जला एकादशी की हार्दिक शुभकामनाएं। इस वर्ष अधिमास लग रहा है। इस अधिमास में निर्जला एकादशी का संयोग भी दिलचस्प है। इतनी प्रचंड गर्मी में निर्जल या जल बिना पूरा दिन काटना अपने आप में योग है। इंसान यदि मन-कर्म-वचन से एक न हो, तो निर्जल रहना काफी मुश्किल है। कुछ लोग इसे हठयोग मानते हैं, लेकिन मेरा मानना है कि यौगिक क्रियाओं पर आपका इतना नियंत्रण तो होना ही चाहिए।


आपका इतना नियंत्रण तो होना ही चाहिए। योग से याद आया कि इस महीने योग दिवस भी है और भारत सरकार के सबसे फिट मंत्रियों में एक राजवर्धन सिंह राठौर साहब ने सबको फिटनेस का चैलेंज दे दिया। उन्होंने स्लोगन दिया- 'हम फिट तो इंडिया फिट'। इस चैलेंज में अपने प्रधानमंत्री भी शामिल हो गए हैं। अब सवाल यह है कि यह फिटनेस कैसी हो। शारीरिक या मानसिक अथवा दोनों। मेरा निजी अनुभव है कि यदि आप मानसिक रूप से फिट हैं तो शारीरिक फिटनेस अपने आप आ जाती हैउसके लिए अतिरिक्त श्रम नहीं करना पड़ता। और मानसिक फिटनेस यानी मानसिक दृढ़ता आती है योगाभ्यास सेऐसा कहने के पीछे मेरा आशय यह है कि इतनी प्रचंड गर्मी में जब आप शारीरिक श्रम बढ़ाते हैं, जिम जाकर, या तेज गति से टहलते हुए, दौड़ते हुए, अथवा अन्य प्रकार से... तो होता यह है कि आपके शरीर की विधायी ऊर्जा खर्च होती है, शरीर से निर्जलीकरण होता है और उसे वापस पाने के लिए आपको कई दूसरे प्रकार के जतन करने पड़ते हैं। जैसे एनर्जी ड्रिंक आदि। आप देखें कि इसमें कितने संसाधन लग रहे हैं। जाहिर है, यह बहुत महंगी विधि है।


बहुत महंगी विधि है।जबकि योगाभ्यास अत्यंत सरल विधि है। इसमें आपको कोई दूसरा जतन नहीं करना पड़ता। मसलन इसे आप घर में, ऑफिस में, कहीं भी कर सकते हैं। मसलन मैं कहूं कि आप दिन में तीन से पांच बार सूर्य नमस्कार कर लें और सायंकाल में 10 मिनट का समय निकालकर योग निद्रा का अभ्यास कर लेंफिर आप खुद देखेंगे कि आपकी बॉडी फिट है और किसी भी काम को करने के लिए आप खुद को तरोताजा महसूस कर रहे हैं। असली फिटनेस का मतलब तो यही हुआ न कि हर वक्त आप खुद को मानसिक तौर पर तरोताजा महसूस करें, और यह ताजापन योगाभ्यास एवं प्राणायाम से हासिल किया जा सकता है।


जा सकता है। क्योंकि मैं एक बार फिर से स्पष्ट कर दें कि वातावरण की प्रचंड गर्मी जब आपकी बॉडी से पानी निकाल रही है, तो व्यायाम करना या जिम जाना कहीं से भी अक्लमंदी नहींइसके मुकाबले जब हम अपने मन को शांत रखते हैं, तो शरीर का तापमान नियंत्रण में रहता है, धीरे-धीरे लंबी सांसें लेते हैं। तो रक्त शुद्ध होता है और जब ये दोनों चीजें एक साथ हों तो फिटनेस आ ही जाती है। शारीरिक एवं मानसिक, दोनों तौर पर। और यह जीवन की किसी भी अवस्था में हम-आप आजमा सकते हैं। आशा है आप इससे सहमत होंगे।


ॐ पूर्णमिदः पूर्णमिदं पूर्णात् पूर्णमदुच्यते पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवा वशिष्यते |


ॐ शान्ति शान्ति शान्ति


 


 


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