योगनिद्रा किसलिए?
जिज्ञासा
हमारी चेतना तीन स्तरों में रहती है। जागृत, स्वप्न और सुषुप्ति। जागृत अवस्था में आपको चेतन मन काम करता है। स्वप्नावस्था में आपका अवचेतन मन काम करता है और गहरी नींद में आपका अचेतन मन काम करता है। तुम या तो सोते हो या जागते हो। लेकिन सोने और जागने के बीच में एक अवस्था ऐसी आती है, जहाँ न आप पूरे जगे हैं, न पूरे सोये होते हैं। यह अवस्था अत्यन्त सूक्ष्म है। इस अवस्था को पकड़ें कैसे?
अवस्था को पकड़ें कैसे? योगनिद्रा आपको इसी मध्यम अवस्था में ले जाती है। सजग रहते हुए शरीर और मन को पूर्ण विश्राम की स्थिति में ले जाने वाली यह एक सहजसाध्य विधि है। इसके लिए न सीधे बैठना है, न वज्रासन में, न सिद्धयोनि आसन में बैठना है। योगनिद्रा को लेटकर किया जाता है। इससे शरीर और मन पूरी तरह विश्राम में आ जाते हैं और आप अपने अवचेतन मन में संकल्प का बीज डाल सकते हैं। आप अपने जीवन में जो भी सुन्दर परिवर्तन लाना चाहते हो, जैसे- ज्ञानसमाधि, शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य इत्यादि, जीवन में जो भी चाहते हो, उसके लिए और विशेष रूप से अध्यात्म सम्बन्धित संकल्प इस अवस्था में किया जाता है। योगनिद्रा के पहले हिस्से डाल सकते हैं।
सजग रहते हुए शरीर और मन को पूर्ण विश्राम की स्थिति में ले जाने वाली यह एक सहजसाध्य विधि है। इसके लिए न सीधे बैठना है, न वज्रासन में, न सिद्धयोनि आसन में बैठना है। योगनिद्रा को लेटकर किया जाता है। इससे शरीर और मन पूरी तरह विश्राम में आ जाते हैं और आप अपने अवचेतन मन में संकल्प का बीज डाल सकते हैं।
आप अपने जीवन में जो भी सुन्दर परिवर्तन लाना चाहते हो, जैसे- ज्ञान, समाधि, शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य इत्यादि, जीवन में जो भी चाहते हो, उसके लिए और विशेष रूप से अध्यात्म से सम्बन्धित संकल्प इस अवस्था में किया जाता है। योगनिद्रा के पहले हिस्से में अपनी पूरी चेतना को आप अपने शरीर में समेट लेते हैं।
देखिए, चेतन मन गायब हुआ है, इसको जानने का सबसे बेहतरीन तरीका है कि आपके शरीर की बाहरी संवेदना खत्म हो जाती है। शरीर कहाँ है, इसका भी पता नहीं चलता। यह ठीक ऐसे ही है जैसे रात सोते हुए में जैसे ही नींद उतरने लगती है, बाहर की बाकी सारी संवेदनाएँ खत्म होने लगती हैं। परन्तु एक चीज तो बचती ही है और वह है आवाज। गहरी से गहरी नींद में सो रहे व्यक्ति को तुम अगर आवाज दो तो वह भी जाग जाता है। मतलब नींद में सबसे ज्यादा दूर तक तम्हारे साथ आवाज ही चलती है। इसलिए योगनिद्रा की पद्धति में तुम्हें निर्देश देना सरल हो जाता है
तीसरी स्टेज में चेतना को अपने श्वास में ले आना है। जब हम श्वास लेते हैं तब पेट, छाती और गला, इन तीन अंगों में उसकी प्रतिक्रिया होती है इसके बाद स्थिति आती है मानसदर्शन की। स्वप्न देखते हुए में आपको इसका पता नहीं चलता है कि आप स्वप्न देख रहे हैं। अगर पता चले तो स्वप्न टूट जायेगा। तुम जागते हुए सपना नहीं देख सकते। नींद की बेहोशी में उतरने पर ही सपना दिखता है। योगनिद्रा में मानसदर्शन करते हुए में जिन वस्तुओं का नाम लिख जाता है, उनसे सम्बन्धित अपने अतीत में जो कुछ आपने देखा है, सुना है, महसूस किया है, उन सबकी स्मृत्तियों को जागृत करना होता है। जब हम अपने मन के अधिक गहरे तल को छूते हैं, तब शरीर में भारीपन और हल्कापन दोनों की अनुभूति हो सकती है। हमने अपने जीवन में इसी शरीर में बहुत गर्मी भी महसूस की है और बहुत ठण्ड भी महसूस की है। उन सभी स्मृत्तियों को जागृत कर हम मन में छिपे हुए संस्कारों को जगाते हैं और शरीर में महसूस करते हैं। शरीर में इन संवेदनाओं को महसूस करने के बाद फिर धीरे-धीरे जागृति में आया जाता है। अन्त में जब उठकर बैठने का आदेश होता है, उसके बाद यह घोषित किया जाता है कि अब योगनिद्रा समाप्त
योगनिद्रा के सभी हिस्सों की आयोजना बहुत वैज्ञानिक दृष्टि से की गयी है। आप किसी भी हिस्से को बाइ-पास नहीं कर सकते। शरीर और मन को विश्राम में लाने का यह सबसे आसान तरीका है; फिर भी कुछ बातों का ध्यान रखते हुए इसको बहुत समझदारी के साथ करने की आवश्यकता है। एक, शरीर स्थिर हो और पूरे समय आँखें बंद रहें। दूसरी बात, आपको जब शरीर के किसी अंग को महसूस करने के लिए प्रेरित किया जाए, तब अगर आप उस अंग को या उसकी संवेदना को महसूस नहीं कर पायें, तो उसकी चिन्ता नहीं करना। तीसरी बात, आप शुरु में ही यह संकल्प करें कि 'मैं योगनिद्रा करने जा रहा हूँ, मैं सोऊँगा नहीं, मैं सोऊँगा नहीं।' योगनिद्रा में दो बार संकल्प किया जाता है। एक, शुरुआत में और दूसरा जब आप विश्राम में जाते हैं तब। जो भी आप प्राप्त करना चाहते हैं उसके लिए संकल्प को तीन बार दोहराया जाता है क्योंकि किसी भी विचार को अवचेतन मन में डालने में थोड़ा समय लगता है। अवचेतन मन बहुत ही गहरा मन है। संकल्प को वहां तक पहुंचाने के लिए तीन बार उसे दोहराना जरूरी है। जब योगनिद्रा के आखिरी चरण में आप पहुंचते हैं, तब फिर से आपको वही संकल्प दोहराने के लिए कहा जाता है। तो जो संकल्प आपने शुरू में किया, उसी संकल्प को आप फिर से तीन बार दोहराते हैं। हमारा अवचेतन मन बहुत शक्तिशाली है। इसकी शक्ति अपार है। अगर हम इस शक्ति का सही प्रयोग करें, तो इसी जन्म में जो चाहे सो कर सकते हैं। तो यह बीज बोने जैसा होता है। और आप उसी संकल्प को अन्त में दोहराते हैं, तो यह बीज को पानी देने के सदृश होता है।
योगनिद्रा आपके शरीर और मन दोनों को परम विश्राम की अवस्था में ले जाती है। योगनिद्रा आपको विश्राम देती है। आपकी लिए मानसिक समस्याओं को दूर करती है। शरीर के तल पर या आपकी मांसपेशियों और नाड़ियों को पूर्ण शिथिल कर देती है। और यह आपको पूर्णतः मानसिक और भावनात्मक विश्राम की स्थिति में पहुंचाती है। आपके मन से जुड़े हुए और शरीर से जुड़े हुए रोगों को दूर करती है। आपकी नींद को गहराई प्रदान करती है। योगनिद्रा आपकी सीखने की शक्ति को बढ़ाती है। कुछ सीखना हो, कोई नई भाषा सीखनी हो, हर नई चीज को सीखने की आपकी शक्ति बढ़ जाती हैन केवल बढ़ जाती है, बल्कि आप जो सीखेंगे वह याद भी रहता है।
हालांकि एक दिन में जैसे पीपल का बीज पेड़ नहीं बन जाता, ऐसे ही इसे भी समय तो लगता ही है। कुछ हफ्ते नहीं, कुछ महीने नहीं, बल्कि कई साल लग जाते हैं। लेकिन योगनिद्रा की जो करामात है, जो चमत्कार है, यह बड़ा अद्भुत है। यह भी संभव है कि जो काम जन्मों में होना था, वह सालों में पूरा हो जाएअब यह कोई बुरा सौदा तो नहीं है कि जिनके लिए जन्मों लग सकते हों, उसे आप कुछ वर्षों में ही प्राप्त कर लो। योगनिद्रा आप सबके लिए एक सुन्दर उपहार है, जो आप स्वयं को दे सकते हो। अवचेतन मन की अद्भुत शक्ति को उजागर करने का यह प्रयोग आप अपने कल्याण के लिए कर सकते हो।
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