गुरू पूर्णिमा


स्वचिंतन


                


शास्त्रों में गु का अर्थ बताया गया है- अंधकार या मूल अज्ञान और रू का अर्थ किया गया है- उसका निरोधकअर्थात दो अक्षरों से मिलकर बने 'गुरू' शब्द का अर्थ- प्रथम अक्षर 'गु' का अर्थ- अंधकार होता है और जबकि दूसरे अक्षर रू का अर्थ- उसको हटाने वाला होता है।


 अर्थात अंधकार को हटाकर प्रकाश की ओर ले जाने वाले को 'गुरू' कहा जाता है।


गुरू वह है जो अज्ञान का निराकरण करता है अथवा गुरू वह है जो धर्म का मार्ग दिखाता है। श्री सद्गुरू आत्म-ज्योति पर पड़े हुए विधान को हटा देता है।


गुरू गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागू पांय।


बलिहारी गुरू आपने, गोविन्द दियो मिलाये॥


साधना के क्षेत्र में गुरू को भगवान से भी ऊंचा दर्जा दिया गया है क्योंकि उनके अनुग्रह के बिना ज्ञान प्राप्त नहीं होता। जीवन रहस्यों का उद्घाटन केवल गुरू ही करने में सक्षम होते हैं। जिस प्रकार नेत्रहीन व्यक्ति को संसार का अनुपम सौन्दर्य दिखाई नहीं दे सकता, उसी प्रकार जब तक गुरू हमें प्रकाश नहीं देगा, उसका मार्गदर्शन हमें नहीं मिलेगा, तब तक आंखें रहते हुए भी हमें चारों ओर अंधकार ही नजर आयेगा। हम सही रास्ते पर नहीं चल सकेंगे।


गुरू की महिमा के बारे में संत कबीर कहते हैं कि,


गुरू बिन ज्ञान न उपजै, गुरू बिन मिलै न मोक्ष।


गुरू बिन लखै न सत्य को, गुरू बिन मैंटे न दोष॥


मनु (ब्रह्मा के मानस पुत्रों में से एक) ने गुरू को ही वास्तविक अभिभावक बताया है। उनके हिसाब से विद्या माता के रूप में शिष्य को जन्म देती हैऔर बड़ा करती है। गुरू उस विद्या से आगे शिष्य को जीने लायक और जीवन का परम लक्ष्य प्राप्त करने लायक सामर्थ्य प्रदान करता है। लौकिक माता-पिता तो बच्चे को जन्म देकर उसका पालन-पोषण ही करते हैं, जबकि उसके विकास में सहायता करने वाला, उसे सन्मार्ग पर चलाने वाला गुरू ही होता है। मनु ने तो विद्या को माता तथा गुरू को पिता बताया है |


आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरू पूर्णिमा कहते हैं। इस दिन गुरू पूजा का विधान है। गुरू पूर्णिमा वर्षा ऋतु के आरम्भ में आती है। इस दिन से चार महीने तक परिव्राजक साधु सन्त एक ही स्थान पर रहकर ज्ञान की गंगा बहाते हैं।


 ये चार महीने मौसम की दृष्टि से भी सर्वश्रेष्ठ होते हैं। न अधिक गर्मी न अधिक सर्दी। इसलिए अध्ययन के लिए उपयुक्त माने गए हैं। जैसे सूर्य के ताप से तप्त भूमि को वर्षा से शीतलता एवं फसल पैदा करने की शक्ति मिलती है, वैसे ही गुरू चरणों में उपस्थित साधकों को ज्ञान, शान्ति, भक्ति और योग शक्ति प्राप्त करने की शक्ति मिलती है।


इस वर्ष गुरू पूर्णिमा 16 जुलाई को है। आइए सभी अपने-अपने गुरू की पूजा करते हैंऔर अपने सुखद एवं सफल भविष्य के लिए उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।


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