सावन की रिमझिम बारिश
कविता
नीर भरी बदली ले आई
सावन की रिमझिम बारिश
मस्ती बन कर मन में छाई
सावन की रिमझिम बारिश।
जब तेरा आंचल लहराया
सारी दुनिया चहक उठी
बूंदों की छुअन से जाना
सोंधी मिट्टी महक उठी।
भीग उठा अंर्तमन पिय का
सावन की रिम झिम बारिश
नीर भरी बदली ले आई
सावन की रिम झिम बारिश।
झींगुर, दादुर, पिकी, पपीहा
गरमी से बेहाल थे कल
सबको राहत आज दे रहे
गरज बरस कर झूम-झम बादल।
झूम रही तुझसे पुरवाई
सावन की रिम झिम बारिश
मस्ती बन कर मन में छाई
सावन की रिम झिम बारिश
कसक उठी " भावुक" दिल में
सावन की रिम झिम बारिश
मस्ती बन कर मन में छाई
सावन की रिम झिम बारिश
नीर भरी बदली ले आई
सावन की रिम झिम बारिश।