देव-भूमि हरिद्वार-ऋषिकेश
धार्मिक यात्रा
भादो के माह में आप को उत्तराखंड की देव-भूमि हरिद्वार ऋषिकेश ले चलता हूं। हरिद्वार अर्थात हरि का द्वार जहां से पतित पावनी, पापनाशिनी गंगा पर्वतों को छोड़कर धरती पर आती है। इस शहर की हवा में सौंधी सी खुशबू है। दूर से दिखते अडिग पर्वत, कलकल करके बहती पवित्र गंगा, दूर-दूर से आये श्रद्धालु, और हर-हर गंगे के जयकारे। यहां हर रोज एक त्यौहार होता है। मां गंगा का त्यौहार!! सूर्योदय के स्नान से लेकर शाम की गंगा आरती तक हर क्षण एक त्यौहार है। भारत के हर प्रांत के लोग गंगा के पावन जल में स्नान करने आते हैं। सभी डुबकी लगाते ही सारी थकान भूल जाते हैं। और हर-हर गंगे बोलते हुए स्नान करते रहते हैं। यहां सब से मनमोहक दृश्य शाम की आरती का होता है। आरती से पहले ही श्रद्धालु हर की पौढ़ी या अन्य घाटों की सीढ़ियों पर बैठ जाते हैं। गंगा जल में दिखती आरती की ज्वालायें यूं लगती है जैसे सैंकड़ों दीपक गंगा जल में डुबकियां लगा रहे हों। यहीं नजारा ऋषिकेश में भी देखने को मिलता है। मैने परमार्थ निकेतन में शाम की आरती में भाग लिया। वहां भी श्रद्धालु बड़ी श्रद्धा से एक घंटे की आरती का आनंद उठाते हैं|
हरिद्वार आने वाले ऋषिकेश जरूर जाते हैं। ऊंचे पहाड़, पहाड़ से निकलने वाली पवित्र गंगा, त्रिवेणी में संगम और राम, लक्ष्मण झूले का मजा यहां बार-बार आने को कहता है। मैं जितनी बार भी यहां आता हं मन दबारा आने को करता है। अब की बार मैं श्री सत्यनारायण भगवान के 500 वर्ष प्राचीन मंदिर में दर्शनों के लिए गया। वहां पर सत्यनारायण के दर्शन किए और एक घंटा बैठ कर पाठ किया। ऐसा लगा मानों मैं भी पांच सौ वर्ष पीछे पहुंच गया हूं। आप भी वहां जाकर प्रभु का असीम आशीर्वाद जरूर पाएं।
ऋषिकेश में अन्य दर्शनीय स्थलों में 84 कुटिया, त्रिवेणी घाट, स्वर्ग आश्रम, भरत मंदिर, कैलाश निकेतन मंदिर, वशिष्ठ गुफा, गीता भवन आदि उत्तम स्थल हैं। यहां गंगा पर रिवर राफ्टिंग का आनंद भी उठाया जा सकता है। इसके लिए पहले से ऑनलाइन बुकिंग करा सकते हैं। यह यात्रा अत्यंत रोमांचकारी हो सकती है। ऋषिकेश से 20 कि. मी. ऊपर नीलकंठ महादेव का मंदिर है जहां हर महाशिवरात्री भक्तों का मेला लगता है।
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