जन्माष्टमी पर समर्पित पूजा के फूल
उत्सव
देवताओं में भगवान श्री कृष्ण विष्णु के अकेले ऐसे अवतार हैं जिनके जीवन के हर पड़ाव के अलग रंग दिखाई देते हैं। उनका बचपन लीलाओं से भरा पड़ा है।
बांसुरी वादन से खिल जाते थे कमल
वृक्षों से आंसू बहने लगते
पक्षी हो जाते थे मुग्ध,
ऐसी होती थी बांसुरी तान...
नदियां कल-कल स्वरों को,
बांसुरी के स्वरों में मिलाने को थी उत्सुक
साथ में बहाकर ले जाती थी,
उपहार कमल के पुष्पों के,
ताकि उनके चरणों में,
रख सके कुछ पूजा के फूल।
उनकी जवानी रासलीलाओं की कहानी कहती है, एक राजा और मित्र के रूप में वे भगवद् भक्त और गरीबों के दुखहर्ता बनते हैं तो युद्ध में कुशल नितिज्ञ। महाभारत में गीता के उपदेश से कर्त्तव्यनिष्ठा का जो पाठ भगवान श्री कृष्ण ने पढ़ाया है आज भी उसका अध्ययन करने पर हर बार नये अर्थ निकल कर सामने आते हैं| भगवान श्रीकृष्ण के जन्म लेने से लेकर उनकी मृत्यु तक अनेक रोमांचक कहानियां हैं। इन्हीं श्रीकृष्ण के जन्मदिन को हिन्दू धर्म में आस्था रखने वाले और भगवान श्रीकृष्ण को अपना आराध्य मानने वाले जन्माष्टमी के रूप में मनाते हैं। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की कृपा पाने के लिए भक्तजन उपवास रखते हैं और श्री कृष्ण की पूजा अर्चना करते हैं। कवि सूरदास जी ने अपनी भक्त वत्सल वाणी में मां यशोदा का बाल कृष्ण के साथ ममता और प्रेम को बड़े सुन्दर ढंग से वर्णन किया है।
जसोदा हरि पालनै झुलावैह|
लरावै दुलरावै मल्हावै जोइ सोइ कछु गावै।।
मेरे लाल को आउ निंदरिया काहें न आनि सुवावै|
तू काहैं नहिं बेगहिं आवै तोकौं कान्ह बुलावै।।
कबह पलक हरि मुंद लेत हैं कबह अधर फरकावें|
सोवत जानि मौन वै कै रहि करि करि सैन बतावै।|
अंतर अकुलाइ उठे हरि जसुमति मधुरै गावै|
जो सुख सूर अमर मुनि दुरलभ सो नंद भामिनि पावै।|
श्री कृष्ण का जन्म
जन्माष्टमी भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव को ही कहा जाता है। पौराणिक ग्रंथों के मतानुसार श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में मध्यरात्रि के समय हुआ थाअतः भाद्रपद मास में आने वाली कष्ण पक्ष की अष्टमी को यदि रोहिणी नक्षत्र का भी संयोग हो तो वह और भी भाग्यशाली माना जाता है। इसे जन्माष्टमी के साथ-साथ जयन्ती के रूप में भी मनाया जाता है |
जन्माष्टमी पर्व तिथि व मुहूर्त 2019
24 अगस्त 2019
निशिथ पूजा- 00:01 से 00:45
पारण- 5:59 (24 अगस्त) सूर्योदय के पश्चात
रोहिणी समाप्त- सूर्योदय से पहले
अष्टमी तिथि प्रारंभ- 08:08 (23 अगस्त)
अष्टमी तिथि समाप्त- 08:31 (24 अगस्त)