माता वैष्णो देवी
धार्मिक यात्रा
नवरात्र
नवरात्र में जाएं माता वैष्णो देवी के दर्शन करने
इस बार 29 सितंबर से शारदीय नवरात्र शुरू हो रहे हैं। यूं तो माता वैष्णो देवी जी की यात्रा सारे वर्ष चलती रहती है। गर्मी की छुट्टियों के मई या जून महीने हों अथवा शरद-आश्विन के नवरात्र, यहां भक्तों की भीड़ हमेशा लगी रहती है। मैं भी अपने परिवार के साथ पिछले वर्ष की गर्मी की छुट्टियों में मां का आशीर्वाद लेने वैष्णो देवी के दरबार गया था।
आइए आप भी आगामी शारदीय नवरात्र में जम्मू की सुंदर वादियों में बस रहे मां के दरबार में हाजिरी लगा लें और जयकारा लगाएं- “जै माता दी'
नवरात्र के दौरान लाखों भक्त माता रानी के दरबार में पहुंचते हैं | मां के सबसे महत्वपूर्ण तीर्थों में से एक है वैष्णो देवी मंदिर। माता का ये पवित्र तीर्थ जम्मू-कश्मीर की त्रिकुटा पहाड़ियों पर स्थित है| यहां एक गुफा में माता रानी भक्तों को दर्शन देती हैं। जितना महत्व वैष्णो देवी का है, उतना ही महत्व यहां की गुफा का भी है। देवी के मंदिर तक पहुंचने के लिए एक प्राचीन गुफा का प्रयोग किया जाता था| यह गुफा बहुत ही चमत्कारी है| माता वैष्णो देवी के दर्शन के लिए अभी जिस रास्ते का इस्तेमाल किया जाता है, वह गुफा में प्रवेश का प्राकृतिक रास्ता नहीं है।
श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए नए रास्ते का निर्माण 1977 में किया गया था| वर्तमान में इसी रास्ते से श्रद्धालु माता के दरबार में पहुंचते हैं| यहां एक नियम ये है कि जब मंदिर में श्रद्धालुओं की संख्या दस हजार के कम होती है, तब प्राचीन गुफा का द्वार खोल दिया जाता है और भक्त पुराने रास्ते से माता के दरबार तक पहुंच सकते हैं। ये सौभाग्य बहुत कम भक्तों को मिल पाता है |
मां माता वैष्णो देवी के दरबार में प्राचीन गुफा का महत्व काफी अधिक है। यहां प्रचलित मान्यता के अनुसार पुरानी गुफा में भैरव का शरीर मौजूद है। माता ने यहीं पर भैरव को अपने त्रिशूल से मारा था और उसका सिर उड़कर भैरव घाटी में चला गया और शरीर इस गुफा में रह गया था। प्राचीन गुफा का महत्व इसलिए भी है, क्योंकि इसमें पवित्र गंगा जल प्रवाहित होता रहता है | वैष्णो देवी मंदिर तक पहुंचने के लिए कई पड़ाव पार करने होते हैं। इन पड़ावों में से एक है आदि कुंवारी या आद्यकुंवारी। यहीं एक और गुफा भी है, जिसे गर्भजून के नाम से जाना जाता है। गर्भजून गुफा को लेकर मान्यता है कि माता यहां 9 महीने तक उसी प्रकार रही थी जैसे एक शिशु माता के गर्भ में 9 महीने तक रहता है। गर्भजून गुफा के बारे में कहा जाता है कि इस गुफा से होकर जाने से व्यक्ति को फिर से गर्भ में नहीं आना पडता है| यानी उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। अगर व्यक्ति का दोबारा जन्म होता भी है तो उसे कष्ट नहीं उठाने पड़ते हैं। उसका जीवन सुखी रहता है।
कटरा से भवन तक की पैदल चढ़ाई
माता वैष्णो देवी की भवन तक की चढ़ाई से पहले श्रद्धालु कटरा में आराम करते हैं जो वैष्णो देवी का बेस कैंप भी कहा जाता है। कटरा से ही वैष्णो देवी की पैदल चढ़ाई शुरू होती है जो भवन तक करीब 13 किलोमीटर और भैरो मंदिर तक 14.5 किलोमीटर है।
मौसम के लिहाज से नवरात्र है सब से अच्छा समय
वैष्णो देवी यात्रा के लिए नवरात्र सबसे अच्छा समय होता है हालांकि इस समय भीड़ ज्यादा होती है लेकिन श्रद्धालुओं के लिए सभी तरह की सुविधाएं उपलब्ध होती है| मौसम साफ होने के कारण हेलिकॉप्टर सेवा उपलब्ध होती है। इसके अलावा पालकी और खच्चर से भी भवन तक की यात्रा की जा सकती है। मौसम न ज्यादा ठंडा होता है और न ज्यादा गर्म होता है फिर भी आप एक स्वेटर साथ लेकर ही जाएं क्योंकि भवन में ऊपर रात के समय ठंड बढ़ जाती है।
कहां ठहरें
वैष्णो देवी के बेस कैंप कटरा में ठहरने के बहुत सारे विकल्प हैं | आप अपनी जेब के हिसाब से इनका चुनाव कर सकते हैं। यहां कई लग्जरी, मिड बजट और बजट होटल हैं। इसके अलावा यहां कई धर्मशालाएं भी हैं जो निःशुल्क में ठहरने का प्रबंध कराती हैं। वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड भीड़ के समय कटरा में निहारिका यात्री निवास में श्रद्धालुओं के लिए नि:शुल्क में ठहरने का प्रबंध करता है | इसके अलावा बेहद कम कीमत में आप श्राइन बोर्ड के आवास विकल्पों को चुन सकते हैं। कटरा रेलवे स्टेशन के पास वैष्णो देवी धाम, कालिका धाम और सरस्वती धाम है | जबकि कटरा में निहारिका यात्री निवास, शक्ति भवन और आशीर्वाद भवन है जो कटरा बस स्टैंड के पास हैं। इसके अलावा 700 बेड का एक और श्राइन बोर्ड का आवास विकल्प है जिसका नाम त्रिकूट भवन है। यहां 100 रुपए प्रति बेड के हिसाब से यात्रियों से लिए जाते हैं। इनकी बुकिंग आप यहां जाकर काउंटर से कर सकते हैं या श्राइन बोर्ड की वेबसाइट से कर सकते हैं|
यात्रा पर्ची लें
कटरा से भवन तक की यात्रा के लिए यात्रा पर्ची का होना बहुत जरूरी है जो कटरा से बुक होती है या आप श्राइन बोर्ड की वेबसाइट से ऑनलाइन भी बुक करा सकते हैं|अपने साथ पहचान के लिए कुछ दस्तावेज जरूर साथ रखें। 3 साल से कम उम्र के बच्चे के लिए यात्रा पर्ची की जरूरत नहीं है। यात्रा पर्ची निःशुल्क होती है।
यात्रा से पहले ध्यान रखें
माता वैष्णो देवी की यात्रा के समय कोई भी लैदर का सामान ले जाने की अनुमति नहीं है इसलिए लैदर पर्स या बेल्ट पहले ही निकाल कर चलें वरना यात्रा शुरू होने से पहले जमा कर ली जाएगी। पीक सीजन के दौरान काफी भीड़ होती है इसलिए आपको दर्शन के लिए घंटों इंतजार करना पड़ सकता है। चढ़ाई के दौरान अपने साथ कंबल, खाने-पीने का सामान साथ न ले जाएं क्योंकि ये सब आपको रास्ते में मिल जाएगा|
आरती का समय
माता वैष्णो देवी की दिन में दो बार आरती की जाती है| पहली आरती सूर्योदय से ठीक पहले और दूसरी शाम को सूर्यास्त के तुरंत बाद की जाती है। यह एक लंबी प्रक्रिया होती है। आरती के दौरान दर्शन रोक दिए जाते हैं।।
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