बूंद-बूंद रिसने से घड़ा खाली भी हो जाता है

अभिव्यक्ति


बचपन से यह मुहावरा सुनते आ रहे हैं कि बूंद-बूंद भरने से घड़ा भर जाता है। पर यह कभी मस्तिष्क में नहीं आया कि बूंद-बूंद रिसने से घड़ा खाली भी हो जाता है।  यह बड़ा अटपटा सा लगता है। पर यह एक वास्तविकता है। यहां रमेश जी से संबंधित निम्न घटना से यही तात्पर्य निकलता है। आशा है पाठकगण इसके महत्व को समझेंगे और अपने जीवन में इसका प्रयोग करेंगे...


दुनिया में आज तक ऐसा कोई भी व्यक्ति नहीं हुआ जिसने जीवन में कभी कोई गलती न की हो। जीवन में गलतियों का होना स्वाभाविक है। वास्तव में गलती करना कोई बुराई नहीं है, बल्कि एक ही गलती को बार-बार दोहराना बुराई है| गलतियों से सीख लेने वाला जीवन-पर्यन्त तरक्की करता रहता है|


                                               सफलता का सूत्र


'नित्य एक गलती को सुधारो' और प्रत्येक शनिवार 'गलती सुधार दिवस' के रूप में  मनाओ।


अग्रवाल पैकर्स एंड मूवर्स आज घर का सामान एक शहर से दूसरे शहर ले जाने वाली भारत की अग्रणी कम्पनी हैपिछले वर्ष रमेश जी ने पूरे देश में फैली सभी ब्रांचों के प्रबंधकों को पत्र त लिखा कि उनके कार्य संचालन में जो भी खामियां हों जिनके कारण ग्राहकों को परेशानियों का सामना करना पड़ता हो; वे सब बातें विस्तार से लिखकर दिल्ली स्थित मुख्यालय में भेजो। गलतियों और खामियों की लम्बी-लम्बी सूचियां लगभग सभी ब्रांचों से दिल्ली प्रेषित की गई। हेड ऑफिस में इन खामियों की लिस्ट बनाई गई। कुल मिलाकर विभिन्न प्रकार की 140 गलतियां सामने आई। तत्पश्चात इन सब विकारों को नष्ट करने के लिए पूरे देश के सभी ब्रांच मैनेजर्स का दिल्ली में एक अधिवेशन कराया गया। सब मिलकर गलती सुधारने के लिए विचार-मंथन करने लगे और काफी गहन विमर्श के बाद सबकी सहमति से उपयुक्त कार्यप्रणाली को मूर्तरूप दिया जा सका, जिससे भविष्य में इनकी पुनरावृत्ति हो140 गलतियों की लिस्ट कोई छोटी नहीं होती। एक बार आम आदमी ये सोचकर हिम्मत हारने लगता है कि हमारे हर काम में कमी है।


                   


ऐसे मौके पर रमेश जी ने सूझबूझ का परिचय दिया और सबको संबोधित करते हुए एक नई सोच का प्रतिपादन किया कि हमें हिम्मत से काम लेना है। साथ ही यह जरूरी भी नहीं है कि सारी कमियों का निदान एक साथ ही हो।


 उन्होंने कहा कि 'नित्य एक गलती को सुधारो' और प्रत्येक शनिवार 'गलती सुधार दिवस' के रूप में मनाओ| ग्राहकों को सर्वोपरि महत्व देते हुए उन्होंने सुझाव दिया कि वे खामियां जिनसे ग्राहकों को नुकसान या परेशानी हो रही है, सबसे पहले दूर की जाएं। याद रखिए, जिन्दगी में सफलता के लिए ज़रूरी है कि हम गलतियों को ही अपना गुरू बना लें, फिर गलतियां ही अंगुली पकड़कर हमें सफलता की ओर ले जायेंगी। प्रायः देखा भी गया है कि गलतियों से सीखा हुआ व्यक्ति अपने हर कार्य को बड़ी निपुणता से करता है। इससे गलतियां उसकी मार्गदर्शक बन जाती हैं। 


अधिवेशन में एकमत से रमेश जी के इस प्रस्ताव को अनुमोदन किया गया कि प्रत्येक शनिवार 'गलती सुधार दिवस' के रूप में मनाया जाए और प्राथमिकता के आधार पर प्रत्येक सप्ताह 7 गलतियों को सुधारने का प्रयास किया जाए|


ऐसा करने से बीस सप्ताह बाद एक-एक करके सभी खामियों का निवारण हो जाएगा। और धीरे-धीरे कंपनी अपनी सभी गलतियों से सीख लेकर भविष्य में नए-नए आयाम प्राप्त करेगी। वास्तव में यह एक अनुकरणीय मिसाल है। इस प्रकार हर शनिवार को पौने छः बजे से पौने सात बजे तक एक बैठक (सैट मीट) होती है। बुराइयों का, पापों का, विकारों का, कमियों का घड़ा हमेशा घटता रहना ही अच्छा है। चाहे एक-एक करके कम हो, अन्यथा अगर यह घड़ा भर गया तो बड़े ही दुष्कर परिणाम झेलने पड़ते हैं। अच्छाइयों का, पुण्यों का, परहित का, सहयोग करने का घड़ा हमेशा भरता रहना चाहिए। यह प्रगति और मानवता की निशानी है। जो व्यक्ति आत्म-मंथन कर स्वयं अपनी गलतियां दूर करता है, उसकी सफलता में कोई सन्देह नहीं है। वास्तव में, बूंद-बूंद रिसने से घड़ा खाली हो जाता है। इससे बढ़कर और क्या उदाहरण होगा। हमें गलतियों व सुझावों के लिए अपने द्वार सदैव खुले रखने चाहिए। 


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