दिवाली पर जीवनशैली की साफ-सफाई का संकल्प

 


                          


सर्वप्रथम आप सभी सुधी पाठकों को विजय दशमी एवं दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं। विजय दशमी बुराई पर अछाई की विजय और दीपावली घर एवं बाहर सफाई का समय होता है। इस समय हम अपने आस-पास की निजी तौर पर सफाई करके संतुष्ट हो जाते हैं कि घर में लक्ष्मी का प्रवेश जरूर होगा। लेकिन ऐसा लगता है माता लक्ष्मी भी वर्तमान चुनौतियों के अनुसार ही घर में वास करती हैं। क्योंकि आप देखें कि वही लोग अथवा समाज ज्यादा समृद्ध हुए हैं, जिन्होंने पर्यावरण की रक्षा की है, जो साफ-सफाई में हमेशा आगे रहे हैं, जैसे कि नीदरलैंड। दीपावली पर हम घर में रिद्धि-सिद्धि का आह्वान करते हैं, लेकिन रिद्धि एवं सिद्धि का हमारे घर में वास तभी होगा जब हम अपने आस-पास का वातावरण निर्मल एवं शुद्ध रखेंगे। वातावरण शुद्ध रहने से घर में बीमारियों का प्रकोप घटेगा। ऐसे में स्वाभाविक है कि मानव की विधायी कार्य-ऊर्जा के सुपरिणाम तुरंत दिखेंगे। 


अब सवाल है कि सभी अपने-अपने स्तर पर साफ-सफाई पसंद होते हैं, फिर इस चर्चा की जरूरत क्यों पड़ी? जवाब ये है कि धरती के बढ़ते तापमान एवं समुद्र का स्वास्थ्य ठीक करने के लिए सिंगल यूज प्लास्टिक का प्रयोग नहीं करने की मुहिम शुरू की गई है। प्रधानमंत्री की अपील के बाद सभी संस्थाएं, कंपनियां अपने स्तर पर इस मुहिम में जुट गई हैं। 2 अक्टूबर से सिंगल यूज प्लास्टिक के खिलाफ देशव्यापी अभियान शुरू हो चुका है। तो हमारी जिम्मेदारी क्या है?


हमारी जिम्मेदारी यह है कि हम अपनी जीवनशैली को कुछ मायनों में 1980 के दशक में ले जाएं, जब घर में प्लास्टिक शायद ही किसी कोने में दिखता था। कपड़े का थैला, कागज का ठोंगा। यही दो चीजें हमारी घरेलू जीवनशैली का हिस्सा होती थीं। सब्जी-चावल से लेकर भोज तक का सामान कपड़े अथवा जूट के थैले में आता था और छोटा-मोटा सामान कागज के ठोंगे में आता था। तब हमारी जीवनशैली में प्लास्टिक नहीं था, लेकिन शांति एवं सुकून था। हम स्वच्छ जल पीते थे। आज हमारी जीवनशैली में रेडीमेड प्लास्टिक है, तुलनात्मक रूप से हम कम मेहनती हो गए हैं और सुख-शांति से बहुत दूर। हालांकि इस बीच आर्थिक समृद्धि आई है, लेकिन पानी एवं पर्यावरण से जुड़े संकट की कीमत पर आई है। तो आइए, इस दीपावली हम सिंगल यूज प्लास्टिक का प्रयोग नहीं करने का प्रण लें...


ॐ पूर्णमिदः पूर्णमिदं पूर्णात् पूर्णमदुच्यते


पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवा वशिष्यते


ॐशान्ति शान्ति शान्ति


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