प्रज्ञा कथाएँ

        संकल्प शक्ति का कमाल


             


ढाई सौ साल पहले की घटना है। जापान में हवाना होकीची नामक एक बालक का जन्म हुआ। सात वर्ष की उम्र में चेचक के कारण होकीची की आंखों की रोशनी चली गई| उसके जीवन में अंधेरा छा गया| इस तरह सात साल के होकीची के जीवन में दुर्भाग्य ने अपने कदम रख दिए थे|


कुछ दिनों तक तो होकीची इस दुर्भाग्यपूर्ण परिवर्तन को समझ नहीं पाया। लेकिन जैसे-जैसे दिन बीतते गये, वैसे-वैसे होकीची ने अपनी परिस्थिति से समझौता कर लिया और मन में ठान लिया कि किसी भी कीमत पर हार नहीं माननी है।


बालक ने पढ़ना प्रारम्भ कर दियाधीरे-धीरे उसे पुस्तकों से गहरा प्यार हो गया। पुस्तकें ही होकीची की आंखें थीं। जो उसे जीवन की राह दिखाती थीं| वह पुस्तकों को दूसरों से पढ़वाकर ज्ञान अर्जित करता था। आजीवन उसने अपना अध्ययन जारी रखा - था। दूसरों से पुस्तक पढ़वा-पढ़वा कर होकीची का ज्ञान भंडार असीमित हो गया था। फिर होकीची ने अपने ज्ञान को एक पुस्तक के रूप में समेटना चाहा। जब यह बात एक राष्ट्रीय संस्था को पता चली तो उसने होकीची के ज्ञान को पुस्तक के रूप में लिखवाया|


होकीची ने बोलकर सम्पूर्ण पुस्तक को लिखवा दिया। राष्ट्रीय संस्था को हवाना होकीची द्वारा लिखवाई गई पुस्तक अत्यन्त महत्वपूर्ण नज़र आई। उसने उसके आधार पर एक विश्वज्ञान प्रकाशित किया। यह विश्वज्ञान कोश दो हजार आठ सौ बीस खंडों में प्रकाशित हुआ। विश्व इतिहास में आज तक इससे अधिक तथ्यपूर्ण पुस्तक संभवतः कोई प्रकाशित नहीं हुई। होकीची ने हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने अपने जीवन को एक सार्थक मोड़ पर पहुंचाया और आत्मविश्वास के बल पर एक सौ एक वर्ष तक जिन्दा रहे। उन्होंने अपनी शारीरिक कमी को अपनी ताकत बनाकर अपने दुर्भाग्यपूर्ण जीवन को महान बना लिया। उनका जीवन दूसरों के लिए एक मिसाल बन गया।



निष्कर्ष :


 संकल्प से हर तरह की मुश्किलों को आसान बनाया जा सकता है।



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