साधना (कविता)


साधना 


स्थिर मन से कार्य जो करेगा|


साधक वह कहलाएगा||


 


मन एकाग्र करना ही साधना।


श्रद्धा से कार्यरत होना ही आराधना।|


 


स्थिर बुद्धि से साधना कर लाभ उठाओ|


अस्थिरता से औरों को न हानि पहुंचाओ||


 


रस से पूरित भाव सहयोग दिलाता।


भाव हित कर्म असहयोग दिलाता।|


 


स्वाध्याय विवेक का है अनुपम साधन|


व्यर्थ समय गंवाना है सर्वस्व परायण।|


 


पराधीन बन कार्य कभी न सुख दिलाता|


सर्व आत्म-बल से कार्य जग को सुखी बनाता।|


 


ईश्वर-चिन्तन सम जग में सुख नाहीं|


कंटक रहित राह और कहीं नहीं।|


 


तामस भक्ति नाश जीव का करती है।


सात्विक भक्ति जीव में पावन विचारों को भाती है।।


 


निष्काम जीव अकारण भक्ति करते हैं।


सत्य समर्थक सत्यमेव का समर्थन करते हैं।।


 


 


 


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