सृष्टि का निर्माता

कविता


 


विशाल, अनुपम सृष्टि के विधाता,


रंग बिरंगी सृष्टि के निर्माता |


 


सृष्टि के कण-कण में, निज आभा दर्शाता,


चन्द्र-सूर्य में भगवन, निज आभा चमकाता।


 


समस्त सृष्टि का है तू अनुपम कलाकार,


धरती, आकाश, चन्द्र, सूर्य का है करतार।


 


छोटे-बड़े जीवों का है प्राणों का आधार,


प्राणों का रक्षक भक्षक है करतार |


 


ईश्वर, तुम सृष्टि के सौन्दर्य के हो कलाकार,


जीव नहीं कर सकता है तुमसा चमत्कार।।


 


जिनमें नहीं है सभ्य संस्कार,


उनका जीवन है किस काम का।


 


दुर्व्यवहार को बदलकर,


वे नाम लें भगवान का।


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