श्री हनुमान धाम
परिकल्पना
हनुमान तीर्थ धाम जो हनुमान जी के नौ स्वरूपों के दर्शन एक ही स्थान पर करा सके
भारत सदियों से विश्व के लिए रहस्य रहा है। यह धरती भगवान और देवताओं की अवतार लीला की साक्षी रही है। भारत-भूमि पुण्य-भूमि है। इसके कण-कण में तीर्थ एवं परमार्थ की गंगा रची बसी है। सदियों से विश्व के लोग यहाँ आकर मन की शांति एवं आत्मा की खोज में लगे हैं |ध्यान एवं सांस्कृतिक मूल्यों की प्रेरणा देने वाली इस भूमि को नमन है। इसी पुण्य भूमि भारत के एक प्रांत को "देवभूमि उत्तराखण्ड" के नाम से जाना जाता है। जहाँ हरिद्वार, ऋषिकेश, गंगोत्री, गोमुख, यमुनोत्री, बद्रीनाथ धाम एवं प्रमुख ज्योर्तिलिंग श्री केदारनाथ एवं श्री जागेश्वर धाम नामक तीर्थ है।
भारत एक देश, एक राष्ट्र व एक जमीन का टुकड़ा मात्र नहीं है- एक प्रतीक है, सांस्कृतिक चेतना की भूमि है। कुछ विशेष ऊर्जा तरंगो से स्पंदित है यह देश। जब भी कोई सत्य के लिए प्यासा हुआ है- वह भारत की यात्रा पर निकल पड़ता है। सत्य की खोज, आत्मिक शांति एवं ज्ञान प्राप्त करने हेतु सदियों से, सारी दुनिया के साधक इस धरती पर आते रहे हैं। यही एक देश है जहाँ मनुष्य की चेतना को विकास के उस स्तर पर ले जाया गया, जहाँ सांस्कृतिक चेतना के स्रोत, प्रकृति और भगवत्ता से मनुष्य का नाता जोडा गया। भारतीय संस्कृति की विशेषता है “अनेकता में एकता" और यही हमारी संस्कृति हमारी पहचान बन गई। यह एक जीवन दर्शन और जीवन पद्धति है, जो मानव जीवन का समग्रता से विचार करता है। सुप्रीम कोर्ट के अनुसार हिन्दुत्व को मजहबी संकीर्ण सीमाओं से नहीं बाँधा जा सकता| यह एक जीवन पद्धति मानव के विकास का आधार केन्द्र बिन्दु है। इसे भारतीय संस्कृति और परम्परा से अलग नहीं किया जा सकता| यह संस्कृति के वो शाश्वत नियम हैं जो धर्म से ऊपर हैं यह एक जीवन जीने की कला और परम्परा है|
परोपकार, अहिंसा, सत्य, कृतज्ञता,करुणा एवं सेवा, संयम व इन्द्रिय निग्रह, पारिवारिक जीवन स्रोत के प्रति आदर इत्यादि हमारी भारतीय संस्कृति की आदर्श संकल्पना एवं विशेषताएं हैं| दुर्भाग्य से आधुनिक जीवन में संस्कृति का अर्थ केवल नाच-गाना व कुछ कार्यक्रमों से माना जा रहा है। उच्चतम न्यायालय के अनुसार भारत को शताब्दियों से एक समान संस्कृति के कारण राष्ट्र के रूप में गढ़ा गया है। यह सांस्कृतिक एकता किसी अन्य बन्धन की अपेक्षा अधिक आधारभूत व सतत है जो कि देश के लोगों को जोड़े रख सकती है जिससे इस देश की एक विशेष पहचान है।
श्री हनुमान जी के मन्दिर भारत में प्रभु श्रीराम के मन्दिरों से ज्यादा हैं, परन्तु श्री हनुमान जी के शास्त्रों में वर्णित नौ स्वरूपों का तीर्थ धाम अभी तक पूरे भारत में कहीं नहीं है। एक ऐसा तीर्थ धाम जो हनुमान जी के नौ स्वरूपों के दर्शन एक ही स्थान पर करा सके, ऐसे प्रथम तीर्थधाम के निर्माण का संकल्प आचार्य विजय जी ने हनुमान जी की आज्ञा एवं प्रेरणा से लिया है।
जीवन परिचय-
इस तीर्थ धाम का निर्माण कार्य, देवभूमि उत्तराखण्ड में कोसी नदी के तट पर रामनगर जिला नैनीताल में हो गया है। यह हनुमान धाम अनूठा एवं दिव्य तीर्थ धाम है, जो भारतीय संस्कृति के प्रतीक श्री हनुमान जी को समर्पित हैउत्तराखण्ड में यह पाँचवे तीर्थ धाम के रूप में विकसित हो रहा है।
महाकाल के देवता भगवान शंकर के रुद्रावतार. श्री हनमान जी. एक ऐसा विचार एवं जीवनशैली है जिसका नाम है सफलता। सेवा, भक्ति, समर्पण एवं सांस्कृतिक मूल्यों को समर्पित यह हनुमान धाम एक ऐसा तीर्थ धाम है जहाँ ईश्वर-भक्ति के साथ-साथ सदा समाज की सेवा एवं सांस्कृतिक मूल्यों की प्रतिष्ठापना इसका मुख्य कार्य रहेगा। श्री हनुमान जी हमारे ऐतिहासिक ग्रंथ रामायण के ऐसे पात्र हैं, जिनमें आध्यात्मिक साधनाओं की सभी शास्त्रीय विधाएं परिपूर्ण रूप से सिद्ध हुई हैं। वे कर्म-योग, भक्ति-योग व ज्ञान-योग की स्वयं जीवन्त व्याख्या हैंउनका जीवन अत्यंत उद्धमी व क्रियाशील रहा, किन्तु उन्होंने अपने जीवन में अपने लिए कभी कोई संकल्प नहीं किया। सदा दूसरों के लिए अपना जीवन जिया, और आज भी सभी के लिए संकटमोचन की भूमिका निभा रहे हैं। भक्त और भगवान के बीच का चिरंतन सूत्र है भक्ति और उस भक्ति के महा सूत्रधार हैं, श्री हनुमान जी। सेवा की मूर्तिमान पराकाष्ठा एवं भारत की संस्कृति के व्यवहारिक प्रतीक हैं बजरंगबली श्री हनुमान जी महाराज।
निर्मल, शांत, ब्रह्मचारी, अतुलित बल के __धाम श्री हनुमान जी के ज्ञान और बुद्धि की कोई सीमा नहीं है। परिस्थिति चाहे कैसी भी हो, अपने कर्तव्यों को पहचानने में और पवनवेग से संकट और परीक्षा की अग्नि में कूद जाने में श्री हनुमान जी सदा तत्पर रहें। उन्हीं की पराक्रमी उपस्थिति से रामायण को पूर्णता प्राप्त हुई है। संकटमोचन श्री हनुमान जी के आशीर्वाद से हर विपत्ति का अंत तो होता ही है उनके तेजस्वी एवं पुनीत पावन रूप के ध्यान मात्र से ही सभी तामसिक व अशुभ प्रवृत्तियों का संहार होता है। अपने भक्तों के लिए अष्ट-सिद्धि एवं नव-निधियों के प्रदाता हैं आप।
आज के इस धर्मक्षय के कलयुग में, जब साहस, सेवा और अपनी संस्कृति के प्रति निष्ठा जैसी भावनाओं की परम आवश्यकता है श्री हनुमान जी का सर्वसफल, सक्रिय एवं सेवा से परिपूर्ण जीवन हम सभी को प्रेरणा दे सकता है। आचार्य श्री विजय जी विश्व विख्यात आध्यात्मिक गुरु एवं योग ध्यान उपचारक हैं। आपका जन्म दिल्ली में हुआ, आपने दिल्ली विश्वविद्यालय से विज्ञान एवं कानून की शिक्षा प्राप्त की| आप बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि, मेधावी एवं वैचारिक प्रतिभा के धनी रहे हैं। सत्य की खोज एवं आध्यात्म के गूढ़ रहस्यों के अध्ययन में आपकी विशेष रूचि रही है। ध्यान योग चिकित्सा के आप विश्व-विख्यात विशेषज्ञ हैं। आपके "प्रार्थना चिकित्सा सत्संग" जीवन में निराशा दूर कर उत्साह एवं ऊर्जा का संचार कर देते हैं। सफलता का मूल-मंत्र “श्री हनुमान चालीसा" के आप प्रथम प्रवक्ता हैं।
आपका कहना है _“हम श्री हनुमान धाम को भारतीय सांस्कृतिक चेतना का एक व्यवहारिक एवं अनुपम सांस्कृतिक केन्द्र के रूप में विकसित करने का संकल्प लेते हैं। जहाँ सांस्कृतिक चेतना की सम्पूर्ण विधाएं, मान्यताओं का विकास एवं संवर्धन इस सांस्कृतिक केन्द्र की विशेषता रहेगीसमय-समय पर होने वाले कार्यक्रमों एवं निरंतर गतिविधियों द्वारा हम श्री हनुमान धाम को एक आदर्श सांस्कृतिक केन्द्र के रूप में प्रतिष्ठित करेंगे। इस केन्द्र की विशेषता होगी सेवा एवं करुणा।"
हमारी इच्छा है यह केन्द्र वैदिक संस्कृति के उस मूल तंत्र को सार्थक करेगा जिसमें कहा गया है: ऊँ सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः। सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुःखभाग्भवेत॥ ऊँ शान्तिः शान्तिः शान्तिः॥ (सभी सुखी हो, सभी निरोगी हों, सभी को शुभ के दर्शन हों और कोई भी दु:ख से ग्रसित न हो) भारतीय संस्कृति के व्यवहारिक जीवंत उदाहरण "श्री हनुमान जी" को समर्पित है यह सांस्कृतिक केन्द्र। -श्री हनुमान धाम