आज के तेज़ और व्यस्त जीवन को युवा कैसे संभाले
जिज्ञासा
हमें अपने युवाओं, बच्चों और बड़ों को भी यह समझाना होगा कि हमें अपने जीवन में किसी भी आदत से मजबूर नहीं होना है। खाना खाना, बैठना, खड़े होना, और काम करना यह सभी चीजें जागरूकता के साथ होनी चाहिए
प्रश्न 1: आज का युवा वर्ग मोबाइल एप्प व नवीनतम उपकरणों के मोह में पड़ गया है। उनका दिन सोशल मीडिया पर एक पोस्ट करने से शुरू होता है, तथा एक ट्वीट के साथ समाप्त होता है। तो, ऐसी परिस्थिति में वे अपने जीवन पर कैसे नियंत्रण रख सकते हैं?
सद्गुरूः जिन्होंने अपना जीवन अपने हाथों में नहीं लिया है, उनका ध्यान हमेशा कोई न कोई चीज़ भटकाती रहती हैतो उपकरण कोई समस्या नहीं है, समस्या अपनी आदतों से मजबूर होकर कोई काम करना है। हमें अपने युवाओं, बच्चों और बड़ों को भी यह समझाना होगा कि हमें अपने जीवन में किसी भी आदत से मजबूर नहीं होना है। खाना खाना, बैठना, खड़े होना, और काम करना यह सभी चीजें जागरूकता के साथ होनी चाहिए। अगर हम यह सब जागरूकता के साथ करते हैं, तो हमारा यंत्रों का प्रयोग करना भी एक जागरूक प्रक्रिया हो जाएगा।
प्रश्न 2: आज युवाओं पर जानकारियों का जो प्रभाव पड़ता है, उसे देखते हुए वे अपनी रोजमर्रा की ज़िन्दगी को कैसे व्यवस्थित करें?
उत्तरः हमें जानकारियों के बारे में शिकायत नहीं करनी चाहिए। 100 साल पहले, अगर हमसे केवल 100 कि.मी. की दूरी पर कोई भी दुर्घटना घटती थी, या कुछ अच्छा घटता था तो उसके बारे में हमें एक महीने बाद पता चलता था। आज, सारी दुनिया में क्या हो रहा है यह आपको उसी क्षण पता चल जाता है। तो तकनीक खराब या अच्छी नहीं होती। इसमें अपना कोई गुण नहीं है- ये इस बात पर निर्भर करता है कि आप इसे कैसे उपयोग में लाते हैं?
आप जो भी अन्य तकनीकें इस्तेमाल करते हैं- टेलीफोन, मोबाईल फोन, कम्प्यूटर या सोशल मीडिया- वे उतनी उन्नत या गूढ़ नहीं हैं जितना कि हमारा मानव तंत्र- इस धरती पर सबसे उन्नत, सबसे बेहतर उपकरण|
आपको पहले इसकी तरफ ध्यान देना चाहिए। फिर बाकी सभी को आप स्वाभाविक रूप से संभाल पायेंगे। वरना तकनीकों का जो अद्भुत उपहार हमें मिला है वह अत्यन्त तनावपूर्ण हो जायेगा।
प्रश्न 3: आज का युवा, जिसका परिवार एवं मित्रों से संबंध टूटता जा रहा है, वह अपनी भावनात्मक बुद्धि के स्तर को कैसे बेहतर बना सकता है?
उत्तरः अधिकांश मनुष्यों में भावनायें सबसे बड़ा आयाम होती हैं, इसलिए भावनात्मक सुरक्षा सबसे अधिक महत्वपूर्ण है। अगर एक मनुष्य वास्तव में जागरूक बन जाये तो भावनाओं से फर्क नहीं पड़ता, वरना भावनायें एक भूमिका अदा करती हैंइसलिए बचपन से ही बच्चों को भावनात्मक सुरक्षा मिलनी चाहिए। इसका अर्थ यह है कि उनके आसपास चारों ओर एक प्यार भरा वातावरण होना चाहिए। सिर्फ घर पर ही नहीं बल्कि स्कूल में भी, गली में भी, जहां भी बच्चा जाये उसे प्यार से भरा, स्नेह भरा, स्वागतपूर्ण वातावरण मिलना चाहिए। यह सबसे महत्वपूर्ण बात है जिसके बारे में हमें मानवता की खुशहाली के लिए ध्यान देना चाहिए।
प्रश्न 4: पशुओं या पालतू जानवरों से युवावर्ग कौन सा पाठ सीख सकता है?
उत्तरः आजकल, बहुत सारे लोग मनुष्यों से ज्यादा कुत्तों को पसन्द कर रहे हैं क्योंकि अगर आप एक कुत्ते के साथ रहते हैं तो उसके साथ आपका प्रेम-प्रकरण 12 साल तो गारंटी के साथ चलेगा
हमें नहीं मालूम कि क्या ईश्वर प्रेम है, लेकिन कुत्ता निश्चित रूप से प्रेम है। आपने अपने कुत्ते के साथ सुबह चाहे जैसा बर्ताव किया हो, लेकिन जब आप शाम को घर आते हैं तो वही कुत्ता जिस तरह से आपका स्वागत करता है, दुनिया की कोई पत्नी, पति या बच्चे वह नहीं कर सकते। अगर आप बहुत प्रेमपूर्ण हैं तो आप का जीवन खुशनुमा होगा। अगर आप खुश हैं तभी आप जीवन के सभी आयामों को खोजने की कोशिश करेंगे।
इसलिये कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि बहुत से लोग अपने परिवार के लोगों की अपेक्षा, अपने कुत्तों से ज्यादा प्यार करते हैं। लेकिन जितना प्यार आप एक कुत्ते के लिए महसूस करते हैं उतना ही किसी मनुष्य के लिए भी कर सकते हैं। क्योंकि प्रेम आपके कुत्ते, मित्र या परिवार के बारे में नहीं है। यह आपके बारे में है।
प्रेम आपके अन्दर होता है। अगर आप बहुत प्रेमपूर्ण हैं तो आपका जीवन खुशनुमा होगाअगर आप खुश हैं तभी आप जीवन के सभी आयामों को खोजने की कोशिश करेंगे। वरना दुख भरे विचार, भावनायें और शरीर ही आपको हमेशा व्यस्त रखेंगे। अगर आप अपने मन, शरीर और भावनाओं को खुशीभरा एवं प्रेमपूर्ण रखेंगे तो आपको जीवन में दुखों का कोई डर नहीं रहेगा। जब आपको दुखों का कोई डर नहीं रहेगा, तभी आप इस जीवन को संपूर्णता के साथ जी सकेंगे