स्वस्थ जीवन का आधार गहरी नींद
प्रश्न: आपने कहा है कि नींद और मृत्यु एक समान हैं। यदि ऐसा है तो जैसे नींद में सारे अंग निष्क्रिय हो जाते हैं, ऐसे ही नींद में मन भी निष्क्रिय हो जाना चाहिये, परन्तु ऐसा नहीं होता। नींद में जो सपने आते हैं, _वह मन की सोच होती है। जबकि सारे अंग काम नहीं करते फिर भी नींद में मन शान्त नहीं रहता। कृपया इस पर प्रकाश डालें।
आनन्दमूर्ति गुरुमाँ: जागृत अवस्था में जो कुछ हम करने की चाह रखते हैं, पर कर नहीं पाते या कुछ चीजों पर ध्यान नहीं दे पाते, उसका एक अंश हल्का-सा मन में रह जाता है। भीड़ थी, शोर हो रहा था, आप बस में बैठे निकल रहे थे। मन का जरा सा ध्यान गया कि शोर था। ऐसे ही लोगों को खाते-पीते देखा, दुकानों से सामान खरीदते हुए देखा, तो कहीं एक छोटा-सा ख्याल उठता है कि लोग इतना खर्च कैसे करते हैं। या किसी महिला को देखकर मन में जरा-सा खिंचाव उठता है कि वह बदशकल है, यह मोटी है, यह पति की कमाई फिजूल में खर्च कर रही है। हमारा मन लगातार एक कॉमेण्ट्री करता रहता है। जिस कॉमेण्ट्री को हम सुनते नहीं, फिर भी मन कॉमेण्ट्री करता रहता है। वह कॉमेण्ट्री मन ही मन में कही स्टोर होती जाती है।
स्वप्न में हमारी बुद्धि, हमारी सोचने की शक्ति काम नहीं करती। बुद्धि सो जाती है और मन का साम्राज्य शुरू हो जाता है। उस समय कोई सेंसरशिप मन पर नहीं होती। जागृति में अगर मन में कोई अच्छा या बुरा ख्याल आ जाये तो आपका दिमाग कहता है कि नहीं, ऐसा मत सोचो या इस तरह मत देखोया यह बुरी बात है, इसे मत सुनो। या क्यों किसी को गाली देना?कण्ट्रोल करो अपनी जुबान को। हमारा दिमाग हमें बहुत कुछ गाइड करता रहता है। दिमाग के इस मार्गदर्शन में मन सन्तुलन रखने की, अनुशासन में रहने की कोशिश भी करता है।
हालांकि यह बुद्धि की मॉनिटरिंग स्वप्न की अवस्था में खत्म हो जाती है। स्वप्न में आपके मन कल्पनाओं का निरीक्षण करने वाली मन की सोच के ऊपर लगाम रखने वाली बुद्धि काम नहीं कर पाती। इसी लिये अजीब से तर्कहीन स्वप्न आदमी देखता है और उन स्वप्नों को उस स्थिति में सत्य मान लेता है। कोई आदमी की तरह देखा, फिर वही घोड़ा बन गया। अभी पीछे थे, अभी आगे आ गये। अभी आप चल रहे थे, अभी उड़ने लग गये। इस तरह एक के बाद एक तर्कहीन दृश्य सपने में दिखते हैं। स्वप्न में बुद्धि काम नहीं करती, इसलिये मन को शंका भी नहीं होती कि जो दिख रहा है, यह कैसे संभव है?जागने पर अगर याद रह जाये तो हम इतना ही कहते हैं कि बड़ा अजीबो-गरीब सपना आया|
हमारे इस मन में उसकी सोच, उसके संस्कार, जो भी कुछ जागृतकाल में हम अनुभव करते हैं, वह न केवल एक दिन का या एक साल का, बल्कि सच तो यह है कि जन्मों-जन्मों का सब कुछ संग्रहित हो रहा है। स्वप्न के समय पर तो समय का भी कोई मापदण्ड नहीं रह जातान केवल इसी जन्म का, बल्कि पूर्व के किसी भी जन्म का कोई भी संस्कार उभरकर आ जाता है। तो अब मुझे बताइये कि जिस नींद में स्पप्न आ रहा है वह नींद क्या मृत्यु जैसी नहीं होगी?
आप अपनी स्मृतियों में थोड़ा पीछे झांकेगे, तो जरूर ऐसा समय रहा है, जब आप बेहोशों वाली नींद में सोये होंगेजब हम बोलते हैं कि नींद और मत्य एक समान है तो हम सी गहरी नींद की बात कर रहे होते हैं जिस गहरी नींद में मन भी सोकर चुप हो जाता है। उस मन की चुप्पी के काल में स्वयं को अपना नाम या अता-पता कछ मालम नम रहता। कब और कैसे सो रहे हैं. यह भी नहीं पता, मन के किसी विचार का भी कोई ठिकाना नहीं है। गहरी नींद में आपका शरीर तब तक शिथिल रहेगा, जब तक नींद गहरी रहेगी। आप एक काम करियेगा। किसी दिन अपने ही घर का कोई सदस्य सो जाये, तब आप उस पर अपनी आँखों को जोड़ दीजिये। देखिये उसका चेहरा। कभी वह हंसता है, कभी वह उदास होता है, कभी भौहें ऊपर करता है, कभी नीचे करता है, कभी नाक सिकोड़ता है, कभी मुंह खोलता, कभी बंद करता है, कभी जबड़ों को हिलाता है, कभी चेहरे पर गुस्सा है, कभी प्यार है। चेहरे पर कभी थकान है, कभी खुशी है, कभी चिंता है, कभी बेसुधी है। जिस तरह जागृत अवस्था में चेहरा बदलता रहता है, ऐसे ही नींद में गये हुए आदमी के चेहरे पर ही नींद में गये हुए आदमी के चेहरे पर भी उसी तरह का भाव होता है। वैसे नींद के समय बाहर संसार से संबन्ध कट जाता है। चूंकि अभी गहरी नींद में नहीं गया, इसलिये स्वप्न चलते रहते हैं|
तो स्वप्न में मन अपना एक नया संसार रच लेता है। अब इस हमारे स्वप्न के संसार में पति भी हम हैं, पत्नी भी हम हैं, हमारे नाती-पोते जो कोई पात्र या किरदार जन्मों-जन्मों में हमारे सम्पर्क में आये हैं, उनमें से कोई भी दिख रहा होता है। स्वप्न का यह संसार सब मन के द्वारा ही रचित होता है। स्वप्न का यह संसार सब मन के द्वारा ही रचित होता है। स्वप्न में आपके चेहरे के भाव और रंगों में बहुत से परिवर्तन आते हैं। इतना जो मन और शरीर में होता रहता है, उसके साथ हम एक मरे हुए आदमी की तुलना करेंगे, तो कोई मेल नहीं बैठेगा। लेकिन जितने समय के लिये कोई गहरी नींद में चला जाता है, तब तक यह मेल जरूर बैठ जाता है|
आज के मनुष्य के मन का सोचना इतना सघन हो गया है कि उसकी नींद बहुत कम हो चुकी है। देर रात तक टी.वी. देखते रहने से, कम से कम एक-आध घण्टे तक प्रोग्राम देखें, उनके बारे में ही मन विचार करता रहता है। बहुत देर तक परिवार से गपबाजी करने के बाद सोने चला जाये, तो बड़ी देर तक मन यही सोचता है कि उसने यह कहा कल यह करेंगे सब प्लैनिंग करने का किस घाटी कि मा किस समय नींद आ गयी, पता ही नहीं चलता। पहले हल्की नींद आती है, फिर गहरी हो जाती है, फिर स्वप्न आते हैं, फिर वापिस गहरी नींद आती है। अगर हम इसको मापकर देखें तो छः घण्टे में मुश्किल से 15 से 20 मिनट ही गहरी नींद में आप होते हो। बाकी समय तो जो व्यवहार जागृत काल में मन करता रहता है, वही स्वप्न की बनी दुनिया में मन करता रहता है। मन का यह प्रोग्राम 24 घण्टे के न्यूज चैनल जैसा हो गया है। अब इस बिगड़ी हुई नींद की वजह से मनुष्य का शरीर भी अस्वस्थ हो रहा है। मतलब जैसी गुणवत्ता आपकी नींद की होगी, समझ लीजिये कि आपके स्वास्थ्य की गुणवत्ता भी वैसी ही होगी।
इस प्रश्न के साथ थोड़ी-सी बात जोड़ और रही हूं कि आपको कोशिश यह करनी चाहिये कि आपकी नींद गहरी से गहरी रहे। यह आपका प्रयत्न होना चाहिये। उसके लिये एक तो शारीरिक श्रम करना चाहिये। सारा दिन जो घर में सोफे पर बैठे रहते हैं, उन लोगों की नींद कभी गहरी नहीं हो सकतीशरीर से जो कुछ भी श्रम होगा, वह करना चाहिये। अपना काम खुद करियेशरीर की हिलजुल करने से व्यायाम होता रहता है। शारीरिक व्यायाम करने से स्वास्थ्य तो अच्छा होता ही है, साथ में दूसरों की गुलामी से भी हम बच जाते हैं |
श्रम करते रहना चाहिये ताकि दूसरों पर निर्भर न रहना पड़े। जो अपने काम के लिये दूसरों पर निर्भर नहीं होगा, वह फिर बहुत सारी और बातों में स्वतंत्र हो जायेगा। श्रम करते रहने से, काम करते रहने से सबसे बढ़िया उपहार आपको मिलेगा कि आपकी नींद अच्छी हो जायेगी। शारीरिक श्रम के साथ-साथ प्राणायाम चलता रहे, आहार अच्छा रहे तो उतनी ही आपकी पाचन प्रणाली और नर्वस सिस्टम अच्छी चलेगी। अगर नींद गहरी न हो तो चमड़ी के रोग, पेट की समस्याएं, थायरॉयड ग्लैण्ड का असन्तुलन इत्यादि शुरू हो जाते हैं। गहरी नींद एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण बात है, इसलिये इस पर ध्यान देना चाहिये| सबसे बड़ी बात यह है कि अगर अपनी नींद पर शोध करने लगोगे कि नींद आती कैसे है, नींद टूटती कैसे है, स्वप्न बनते कैसे हैं, सपने कैसे आते हैं, जब नहीं आते हैं तो हमारे मन की स्थिति क्या होती है?अब इन सब बातों का जब आप निरीक्षण करना शुरू करेंगे, तो आप नींद पर या सपनों पर ही नहीं आप अपने साक्षी-भाव पर भी काम करना शुरू कर दोगे। जिसने नींद को आते हुए देख लिया, नींद की गहराई में खुद को उतरते हुए देख लिया, याद रहे वह पुरूष या स्त्री अपनी मृत्यु के घटने को देख पायेंगे। देख पायेंगे कि वह छूट गया शरीर, यह पड़ा है मृत शरीरं नींद छोटी बात नहीं है, नींद बहुत गहरी बात है, इसलिये नींद को भी गहरा होना ही चाहिये|