उपदेश
कविता
रामायण जैसा ग्रंथ न कोई,
गीता सा उपदेश नहीं,
श्रीकृष्ण, विवेकानन्द, सुभाष,
सा मिला कभी सन्देश नहीं,
जनमानस सब अपने वतन के,
सौहार्द, शान्ति से ओतप्रोत
"भावुक",सारे जग को देखा,
भारत जैसा कोई देश नहीं,
ऋषि, मुनि, ज्ञानी जन सब
देवभूमि भारत को कहते,
अलग जाति, भाषा, संस्कृति पर
साथ-साथ मिलकर रहते,
"भावुक" भारत विश्व गुरू बन
योग, अध्यात्म का ज्ञान दिया,
प्राचीन काल से श्रेष्ठ है भारत
वेद, उपनिषद्, पुराण हैं कहते....
गंगा-जमुनी तहज़ीब यहां
जन-मन में भाई चारा है,
जो भी आए मिल गए यहां,
ऐसा परिवेश हमारा है,
गौतम बुद्ध, नानक, गांधी से
मिला हमें उपदेश यही
"भावुक" वसुधा के लोग हमारे
उनका कुटुम्ब हमारा है...