सच बोलने की भी मशीन होती है

अभिव्यक्ति




आज अपना व्यापार बढ़ाने के लिए लगभग सभी कंपनियाँ आगामी वर्ष के लिए लक्ष्य निर्धारित करती हैं और प्रायः ये लक्ष्य इतने ज्यादा बढ़ाकर पेश किए जाते हैं कि कर्मचारियों के सिर पर इसका दबाव दिन-रात बना रहता है। इसी कारण उसे दिए गए काम को पूरा करने के लिए जल्दबाजी में कई गलत निर्णय ले लिए जाते हैं। इनमें ग्राहक से झूठ बोलना सबसे मुख्य हथियार होता है। कर्मचारी झूठ बोलकर ग्राहक को बहला-फुसलाकर अपना लक्ष्य पूरा करता है और बाद में ग्राहक को सभी प्रकार की परेशानी उठानी पड़ती है। अभी कुछ समय पूर्व एक उपभोक्ता ने अग्रवाल पैकर्स एंड मूवर्स से बंगलुरु के लिए अपना घरेलू सामान बुक कराया। उसे बताया गया कि यह सामान सात दिन बाद बेंगलुरु पहुँच जाएगा। दस दिन बाद पार्टी का कम्पनी के दिल्ली कार्यालय के कस्टमर केयर विभाग में फोन आया कि मेरा सामान अभी तक नहीं पहुंचा है। तब चन्द्रभान नामक कर्मचारी ने कहा कि मैं अभी 10 मिनट में आपको फोन करके बताता हूं। 30 मिनट बाद फिर से पार्टी का फोन आया (क्योंकि चन्द्रभान ने फोन नहीं किया था)। अब चन्द्रभान ने कहा कि कल शाम तक आपका सामान पहुँच जाएगा।


यह बात उसने बिना सामान की यथास्थिति मालूम किए बताई थी। कुछ देर बाद पार्टी ने समझदारी दिखाते हुए कंपनी के ट्रैफिक विभाग में फोन किया। इस बार फोन पालाराम ने उठाया, उसने सारी बात तसल्ली से सुनकर और समझकर पार्टी से उसका मोबाइल नम्बर लिया और उससे कहा कि मैं आपको स्वयं एक घंटे बाद सारी स्थिति के बारे में बताऊंगा। ठीक एक घंटे बाद पालाराम ने पार्टी को फोन करके बताया कि आपका सामान आज से 2 दिन बाद सुबह 10 बजे पहुंचेगा। पार्टी ने कहा कि आपकी कम्पनी का एक कर्मचारी कुछ बोल रहा है और दूसरा कुछ और, मैं किसकी बात सच मानूं। तब पालाराम ने कहा कि चन्द्रभान कंपनी में अभी नया आया है और उसने सच बोलने का बॉन्ड नहीं भरा है। हमारे चेयरमैन श्री रमेश अग्रवाल जी ने अपनी कंपनी में एक बहुत ही अच्छी स्वस्थ - परम्परा अपना रखी है कि सभी कर्मचारियों से ग्राहक से सच बोलने का शपथ-पत्र भरवाया जाए। इसको हम सच बोलने की मशीन कहते हैं। मैंने यह बॉन्ड भर रखा है इसीलिये मैंने आपसे एक घंटे का समय लिया और आपके सामान की इस समय क्या पोजीशन है सारी बात मालूम कर तब आपको जवाब दिया है।


सच बोलने की शपथ की बात सुनकर पार्टी बहुत खुश हुई और कहा कि आज के युग में यह बात दुर्लभ है। बात दुर्लभ है। वास्तव में, सच में इतनी ताकत है कि वह दिए गए किसी भी लक्ष्य को अपने बल पर ही पूरा कर दे। साथ ही, सच्चाई धारण करने से कर्मचारी का सम्मान तो बढ़ता ही है, कंपनी की ख्याति भी दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ती है। जब कंपनी के ऊपर ग्राहक का विश्वास जम जाता है तो वह अपना हर काम उसी कंपनी से कराता है। यही गुडविल उस कंपनी को लगातार तरक्की की ओर अग्रसर करती है। सच बोलने वाले को किस दिन क्या बोलना है, यह याद रखने की जरुरत नहीं होती|


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