संस्कृति, अध्यात्म और जानकारी से ओत-प्रोत लेख
“आप के पत्र"
संस्कृति, अध्यात्म और जानकारी से ओत-प्रोत लेख
पत्रिका के हर अंक की भान्ति फरवरी अंक भी संस्कृति, अध्यात्म और जानकारी से भरपूर रहा। रश्मि जी के सार्थक सम्पादकीय के पश्चात अध्यात्म से ओत-प्रोत लेख, स्वामी प्रज्ञानन्द जी के प्रवचन, जीने के सरल सूत्र, सरस बोध कथाएं, सहज नीति कथाएं, जिज्ञासा, योग पर आलेख, प्रसंगवश में साई जन्मभूमि विवाद, यात्रा वृतान्त में बनारस के दर्शन, प्रेरक प्रसंग, गीता सार, स्वास्थ्य जानकारी, कवितायें, बाल सामग्री और स्वादिष्ट व्यंजनों की रेसिपी, सब एक से बढ़कर एक रहे।पत्रिका की विशेषता ही यही है कि एक बार शुरु करके अंत तक पढ़कर भी छोड़ने का मन नहीं करता।
पत्रिका का मुखपृष्ठ ही इतना आकर्षक और पवित्रता लिए होता है कि पत्रिका संग्रह की आदत ही बन जाती है। हर अंक में उस माह से संबंधित सामग्री की बेसब्री से प्रतीक्षा रहती है। आगामी अंकों हेतु हमारी शुभकामनाएं|
युवाओं को लाइफस्टाइल सही करने की नसीहत
युवाओं को लाइफस्टाइल फरवरी के अंक में लाइफस्टाइल से जुड़े आलेख जानकारी बढ़ाने वाले रहे। खासकर सद्गुरू जग्गी वासुदेव जी का आलेख 'आज के तेज़ और व्यस्त जीवन को युवा कैसे संभाले' पढ़कर ऐसा लगा मानो यह आलेख हमारे लिए ही लिखा गया हैइसमें युवाओं को टारगेट कर बहुत सही टिप्पणी की गई है कि जिन्होंने अपना जीवन अपने हाथों में नहीं लिया है, उनका ध्यान हमेशा कोई न कोई चीज़ भटकाती रहती है। इसके बाद सुधांशु जी महाराज ने अपने लेख 'ॐ के विज्ञान से जीवन के अंतर्नाद को कैसे जगायें' में विस्तारपूर्वक बताया है कि कैसे केवल ओम् के उच्चारण से जीवन में बड़ा परिवर्तन लाया जा सकता है। वे युवाओं को बताते हैं कि 15-20 मिनट का ओंकार ध्यान रोज करें, जिन्दगी में इसी ओंकार जप, ध्यान, उच्चारण से बहुत बड़ा परिवर्तन आयेगा। सचमुच गृहस्थ जीवन में प्रवेश के बाद हम ओम् के जप को भूल ही जाते हैं और निन्यानवे के फेर में फंस जाते हैं। दिलचस्प यह था कि इस बार का संपादिका महोदया का स्वचिंतन भी ओम् पर ही था। जीवन में ओम् का महत्व जानकर बहुत अच्छा लगा।