कोरोना संकट में ओंकार प्राणायाम से दूर होता है मानसिक विकार


कोरोना संकट और लॉकडाउन को लेकर देश में कोरोना मरीजों का आंकड़ा 35 हजार को पार कर गया है| ऐसे में हमारे सामने सबसे बड़ी चुनौती संक्रमण को रोकना है| शरीर, मन और प्राण, शक्ति से कार्य करना चाहिए इसलिए हर व्यक्ति को अपने जीवन में थोड़ा समय निकालकर प्रतिदिन योग प्राणायाम जरूर करना चाहिए !


अष्टांग योग 


हमारे ऋषि मुनियों ने योग के द्वारा शरीर मन और प्राण की शुद्धि तथा परमात्मा की प्राप्ति के लिए आठ प्रकार के साधन बताएँ हैं, जिसे अष्टांग योग कहते हैं, ये इस प्रकार हैं


यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रात्याहार, धारणा, ध्यान, समाधि !


अष्टांग योग का उद्देश्य होता है शरीर के अंदर स्थित सात अदृश्य चक्रों का जागरण करना !


सात चक्र होतें हैं — मूलाधार, स्वाधिष्ठान, मणिपूरक, अनाहत, विशुद्धि, आज्ञा और सहस्रार


पहला चक्र है मूलाधार, जो गुदा और जननेंद्रिय के बीच होता है, स्वाधिष्ठान चक्र जननेंद्रिय के ठीक ऊपर होता है। मणिपूरक चक्र नाभि के नीचे होता है। अनाहत चक्र हृदय के स्थन में पसलियों के मिलने वाली जगह के ठीक नीचे होता है। विशुद्धि चक्र कंठ के गड्ढे में होता है। आज्ञा चक्र दोनों भवों के बीच होता है। जबकि सहस्रार चक्र, जिसे ब्रह्मरंध भी कहते हैं, सिर के सबसे ऊपरी जगह पर होता है, जहां पंडित जी लोग चोटी (चुंडी) रखते हैं।


इन्ही चक्रों के जागृत होने से समस्त शारीरिक और अध्यात्मिक उपलब्धियां प्राप्त होती हैं और जब इन चक्रों से होते हुए कुंडलिनी महा शक्ति गुजरती है तब सब कुछ प्राप्त हो जाता है ! योग व प्राणायाम दोनों माध्यमों से चक्रों व कुण्डलिनी शक्ति का जागरण संभव होता है इसलिए हर व्यक्ति को अपने जीवन में थोड़ा समय निकालकर प्रतिदिन योग प्राणायाम जरूर करना चाहिए !


प्राणायाम के  प्रकार :


कपालभाति प्राणायाम,अनुलोम-विलोम (नाड़ी शोधन) प्राणायाम,भस्त्रिका प्राणायाम ,बाह्य प्राणायाम (महाबंध या त्रिबंध),कुंभक प्राणायाम,सीत्कारी प्राणायाम,शीतली प्राणायाम,उज्जायी प्राणायाम,ओंकार (उद्गीथ) प्राणायाम,शांभवी मुद्रा


ओंकार (उद्गीथ) प्राणायाम की विधि 


– शांत एवं शुद्ध वातावरण वाले स्थान पर कंबल या दरी बिछाकर किसी भी आसन में बैठ जाएं। अब अपनी आंखों को बंद करें। गहरी सांस भरकर ओम शब्द का आवाज के साथ उच्चारण करें। इस क्रिया को कम से कम 11 बार करें।


ओंकार (उद्गीथ) प्राणायाम के लाभ 


– ॐ शब्द ब्रह्म (अर्थात ईश्वर) है इसलिए इस प्राणायाम करने वाले के सभी चक्रों में जागरण का स्पंदन शुरू हो जाता है जिससे सर्व रोग नाश होता है और कई अतीन्द्रिय क्षमताएँ भी विकसित होती हैं !


– इस प्राणायाम के निरंतर अभ्यास से मन अति शांत और अति शुद्ध होता है। मानसिक विकार यानि बुरे विचार दूर भागते हैं। मन स्थिर रहता है। पूरे दिन कार्य में मन लगता है। आवाज का आकर्षण बढ़ता है और आनंद की अनुभूति होती है। अनिद्रा की बीमारी दूर होती और नींद अच्छे से आती है। साथ ही जिन लोगों को बुरे सपने परेशान करते हैं उन्हें भी प्राणायाम से लाभ प्राप्त होता है।


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