मन्त्र क्या है?
मन्त्र क्या है, मंत्र कैसे कार्य करते है ?
जानते है?
मन को एक तंत्र में लाना ही मंत्र होता है। उदाहरणार्थ यदि आपके मन में एक साथ एक हजार विचार चल रहे हैं तो उन सभी को समाप्त करके मात्र एक विचार को ही स्थापित करना ही मंत्र का लक्ष्य होता है।
मंत्र एक तरह से आप समझे तो एक बीज है, दूध है और माचिस है ! जिस प्रकार एक बीज में इतनी शक्ति होती है कि वह बड़ा होकर वृक्ष बन जाता है दूध में इतनी शक्ति होती है कि उसमें से घी माखन निकल जाता है! माचिस में इतनी शक्ति होती है कि वह एक जंगल जला सकती है परन्तु हमे दिखाई नही देती है! इसी प्रकार मंत्रो से हमे वे सब प्राप्त होता है जो हम चाहते है! जब मंत्र जाग्रत हो जाता है तो दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदलने में देर नही लगती ! तुलसीदास जी ने रामायण में कहा मंत्र महाबली है!
अब जानते है मंत्र कैसे कार्य करते है ! अतरिक्ष में हमेशा तरंगे व्याप्त रहती है, मंत्र जप करने से जो ध्वनि तरंग निकलती है वे जब आंतरिक्ष में जो तरंगे है उनसे टकराती है! तब मंत्र चैतन्य होता है!
मन्त्र 3 प्रकार से जप किये जाते है!
1 वाचिक:- आसन पर बैठकर मंत्र का उच्चारण करना !
2 उपांशू:-आसन पर बैठकर मंत्र का उच्चारण मन ही मन करना !
3 मानसिक:- आप आसन पर बैठे नही और चलते - फिरते मन ही मन मे जप कर रहे है !
1 वाचिक:- आसन पर बैठकर मंत्र का उच्चारण करना !
2 उपांशू:-आसन पर बैठकर मंत्र का उच्चारण मन ही मन करना !
3 मानसिक:- आप आसन पर बैठे नही और चलते - फिरते मन ही मन मे जप कर रहे है !
जब आप इनमें से किसी भी तरह जप करते है तो मंत्र से जो ध्वनि तरंगे निकलती है, क्यूँकि यह कर्णतवति ध्वनि है ! यह हमे सुनाई नही देती न ही दिखाई देती है ! ये तरंगे जब आंतरिक्ष में जो तरंगे है उनसे टकराकर के आराध्य तक पहुँचती है! जैसे आप सूर्य का मंत्र जप रहे है "ॐ श्री सूर्याय नमः ", तो वह सूर्य से टकराकर पुनः आप तक पहुँचती है ! तब उसकी चैतन्यता से आपकी कामनाओं की पूर्ति होती है ! मंत्रो की चैतन्यता के बारे में हमारे पुराणों में यही उल्लेख है और अब वैज्ञानिकों ने भी तरंगों पर अध्ययन करने के बाद यह माना है कि ध्वनि तरंगे अंतरिक्ष के तरंगों से टकराकर चैतन्य प्राप्त होता है ! इसीलिए आप अपने देवी - देवताओं का मंत्र जप करते है ,! मनोकामना पूर्ण के लिए व ग्रहो के लिए भी, ग्रहो की पीड़ा से निजात पाने के लिऐ भी मंत्रो (मंत्रो के जप )को बताया जाता है ताकि वे मंत्रो के उच्चारण से ध्वनि तरंगे अंतरिक्ष मे जाकर पुनः आप तक आती है ! और आपकी मनोकामना पूर्ण होती है ! मन्त्र को जपने से आपको एकाग्रता भी प्राप्त होतीहै !
मंत्र के द्वारा हम खुद के मन या मस्तिष्क को बुरे विचारों से दूर रखकर उसे नए और अच्छे विचारों में बदल सकते हैं। लगातार अच्ची भावना और विचारों में रत रहने से जीवन में हो रही बुरी घटनाएं रुक जाती है और अच्छी घटनाएं होने लगती है। यदि आप सात्विक रूप से निश्चित समय और निश्चित स्थान पर बैठकर प्रतिदिन मंत्र का जप करते हैं तो आपके मन में आत्मविश्वास बढ़ता है साथ ही आपमें आशावादी दृष्टिकोण भी विकसित होता है जो कि जीवन के लिए जरूरी है।