टेढ़ी गरदन


एक बार अकबर किसी बात पर बीरबल की चतुराई से खुश हो गये। उन्होंने बीरबल को सौ एकड़ जमीन उपहार में देने का वचन दियाबीरबल बहुत खुश हुएलेकिन बहुत दिन बीत जाने पर भी उन्होंने अपना वचन पूरा नहीं किया। बीरबल कई अवसरों पर अकबर को इस बात की याद दिलाते रहे, लेकिन बादशाह हर बार उनकी बात सुनी-अनसुनी कर देते या गर्दन घुमाकर दूसरी ओर देखने लगते। बीरबल समझ गये कि शहंशाह अपना वादा पूरा नहीं करना चाहते। मगर वे भी हार मानने वाले नहीं थे। वे किसी अच्छे अवसर का इंतजार करने लगे।


एक शाम अकबर और बीरबल घूमने निकले। सामने से एक ऊंट आ रहा थाऊंट को देखकर अकबर ने पूछा, “इस ऊंट की गर्दन टेढ़ी क्यों है?" बीरबल ने तुरन्त इस अवसर को ताड़ लिया कि सौ एकड़ जमीन की बात न उठाने का इससे अच्छा अवसर नहीं मिलेगा। वे बोले, “जहांपनाह, शायद ये ऊंट किसी को वचन देकर भूल गया हैधार्मिक पुस्तकों में लिखा है कि जो अपना वचन तोड़ते हैं उनकी गरदन टेढ़ी हो जाती है। शायद इसी कारण ऊंट की गरदन टेढ़ी हो गई है।"


अकबर को भी बीरबल को दिया अपना वचन याद आ गया। तुरन्त महल वापिस पहुंचकर, उन्होंने बीरबल को उसके इनाम की जमीन दे दी|


शिक्षा- बीरबल अपनी बात को इस प्रकार रखते थे कि सामने वाले को महसूस भी न हो। इसी तरह हमें भी यह कला सीखनी चाहिए कि लोग हमारे विचारों को अपना समझें ताकि उस पर अधिक उत्साह के साथ काम करें। साथ ही अपने किए वायदे को पूरा करना भी हमारे चरित्र को निखारता है जो अपने वायदों को अनदेखा करते हैं वे स्वयं ही अपने चरित्र को नीचे गिरा देते हैं और ऐसे में आपके आसपास के कुछ अच्छे चरित्र वाले व्यक्ति दूसरों की नज़रों में ऊपर उठने लगते हैं।


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