ईश्वर के ध्यान के लिए जरूरी बातें
1. ईश्वर में ध्यान लगाने के लिए एक अलग जगह तैयार कीजिये। उसे शुद्ध और साफ रखिए, जगह की सफाई और शुद्धता पर ही आपकी सही सफलता निर्भर है।
2. सम्भव हो सकता है कि आपको शुरू में एकान्त जगह पसन्द न आए, लेकिन कोशिश यही करनी चाहिये कि ध्यान के लिए कोई एकान्त जगह ही मिल जाए, तभी सफलता हो सकती है। आप अपने झूठे प्रिय के लिए एकान्त जगह तलाश कर सकते हैं। उसके लिए आसमान से तारे तोड़कर ला सकते हैं। यानि हर - बड़ी से बड़ी बलिदान के लिए भी हिचकिचाते नहीं...मगर अफसोस कि आप अपने सच्चे प्रिय (ईश्वर) के लिए एक एकान्त जगह तलाश करने में बहाना बनाते हैं।
3. ध्यान करने के लिए प्रात:काल चार बजे उठिये। यहीं समय ठीक है। रात को भी आराम करने से पहले आप कुछ ध्यान कर सकते हैं।
4. जिस कमरे में आप ध्यान करते हैं, वहां सिवाय ग्रंथों के और अपने भगवान की मूर्ति के कुछ भी न होना चाहिये। अपना ध्यान का आसन अपने ईष्ट देव की मूर्ति के सामने होना चाहिए।
5. ध्यान के लिए पद्म आसन जरूरी है। अगर नहीं तो सिद्ध आसन में ही बैठ कर ध्यान किया जा सकता है। सिर, गर्दन शरीर एक लाईन में होने चाहिए| झुककर ध्यान नहीं करना चाहिए|
6. आंखें बंद करके त्रिकुटी पर ध्यान कीजिए (त्रिकुटि दोनों आंखों के बीच की जगह को कहते हैं।)
7. ध्यान करते समय शरीर को ढीला छोड़ देना चाहिए। मन पर जोर मत दीजिये। आसानी से अपने भगवान का विचार करो। और आनन्द पूर्वक अपने इष्ट मंत्र का जाप शुरू कर दो|
8. अगर आपका दिल सांसारिक मोह की तरफ जाने लगे तो आपको उसे जबरदस्ती भगाना नहीं चाहिए। बल्कि उसे थोड़ी देर के लिए अपनी मनमानी करने दो और फिर धीरे-धीरे उसे समझाकर भगाना चाहिए| हो सकता है कि आपका दिल शुरू-शुरू में आपके आदेश को न मानें। लेकिन अभ्यास होते-होते वो आपका कहना जरूर मानने लग जाएगा, और फिर एक समय आएगा जबकि आसन पर बैठते ही ध्यान एकाग्रचित्त हो जाएगा।
9. अपने भगवान के नाम और रूपों का ध्यान करना सगुण ध्यान है जब आप ओम् " का ध्यान करते हैं तो उनके निर्गुण गुणों पर ध्यान दीजिये। वो अजन्मा है। वो सर्वव्यापक है। वो बिना किसी रूप के है। लेकिन सब रूपों में बसा हुआ है। वो बिना आंख के देखता है। वो बिना हाथ, पैर काम करता है। वो आनन्द है। वो सत्य है, ऐसा उस प्रभु का निर्गुण ध्यान है। लेकिन शुरू में सगुण ध्यान करना चाहिए।
10. जब कभी आपका दिल अपने निशाने से चूकने लगे और वो संसार की तरफ भागने लगे तो आप उसे प्रेम से बुला सकते हैं।
11. जब आप अपने भगवान पर ध्यान करो तो उनकी तस्वीर को अपने सामने रख लो| उस पर एक नज़र से ध्यान जमाकर रखो। अपने प्यारे भगवान को सर से पांव तक देखते हुए आपका दिल एकाग्रता में चला जाएगा। जैसे आप अपनी सांसारिक प्यार में दीवाने हो उठते हैं और प्यार में बेकरार होकर एकाग्रता में जाते हुए कहते हैं-
ऐ जफर मुझको उस सनम के सिवा न दिखाये कोई खुदा सूरत
मतलबः- ये है कि जब आप ऐसा कहते हैं- न दिखाए खुदा कोई सूरत- तो जाहिर है कि आप उस समय अपने प्रिय की शक्ल को देखते हुए एकाग्रता में प्रवेश कर जाते हैं।
12. जब आपका दिल एकाग्रता में चला जाए तो आप अपनी आंखें बंद कीजिये और फिर उसी सूरत का ख्याल कीजिये और उसे अपने दिल की गहराईयों तक ले जाइये।
13. ध्यान करते समय, आप ईश्वर की सर्वव्यापकता, सर्वज्ञता सर्वशक्तिमत्ता गुणों को निश्चित कीजिये|
14. अगर दिल में बुरे विचार आने लगे तो दिल से झगड़ा नहीं करना , झगड़ा करोगे तो चोट पहुंचेंगी और आप कमजोरी को अनुभव करेंगे। उस समय आपको चाहिए कि आप चैतन्य होकर होशियारी से दिल की चाल को देखिए। परिणाम ये होगा कि आपका मन स्थिर होना शुरू हो जाएगा|
15. जरूरी तो ये है कि आपका एक दिन भी ईश्वर के ध्यान के बिना न छूटे। चाहे आप सफल हों या असफल लेकिन ध्यान में अवश्य बैठिये| अगर आप ध्यान कर रहे हैं तो इस दौरान में सात्विक भोजन करना चाहिए। तामसिक और राजसिक भोजन को छोड़ देना चाहिए।
16. ध्यान करते समय नींद भी आ जाया करती है। उस समय के लिए 15 मिनट बाहर आकर घूमिये। उसके बाद सिर को ठंडे पानी से धो लीजिये। अगर नींद और भी अधिक आने लगे तो दस या पन्द्रह मिनट तक कोई आसन या प्राणायाम करना चाहिए। अगर आप सात्विक भोजन करेंगे तो आपको नींद नहीं सताएगी।
17. सिनेमा देखना कभी भी लाभदायक नहीं होताइसमें नुकसान ही होता हैज्यादा गपशप से भी परहेज करना चाहिए। दिन में कम से कम दो घंटे मौन धारण करना जरूरी है।गिरे हुए इंसानों से कभी भी संबंध नहीं रखना चाहिए। अगर आप चाहते हैं कि आपका ध्यान सफल साबित हो तो आपको धार्मिक पुस्तकों को जरूर ही पढ़ना चाहिए। ये चीजें आपको ध्यान में मददगार साबित होंगी।
18. ध्यान करते समय शरीर को खुजलाने की आदत को छोड़ दो। अगर हो सके तो खाँसना भी नहीं चाहिएध्यान करने से पहले गुरुजनों को अवश्य प्रणाम करना चाहिए। अपने माता और पिता को भी प्रणाम करना जरूरी है। अगर हो सके तो संसार के सारे जानदारों के लिए आपका दिली प्रणाम जरूरी है|
19. अगर आप थक जाएँ तो कुछ देर टहलकर आराम करो। अगर जबरदस्ती ध्यान करोगे तो अम्ल उल्टा होगा।
20. ध्यान करने से आपकी विचार शक्ति निर्मल और पवित्र हो जाएगी। आपका विश्वास हमेशा पवित्र होगा और आदर्शवादी होगा। आपकी भावनाएं ही आपके जीवन का निर्माण कर पाएंगी। ईश्वर पर ध्यान इसलिए लगाया जाता है कि परमात्मा के सिवा और कोई भी चीज इस दुनिया की सच्ची नहीं है। अगर आप दूसरे पदार्थों का ध्यान करोगे तो उसके ही गुण प्राप्त करोगे। अगर आप परमात्मा का ध्यान करोगे तो अनन्त और परिपूर्ण बन जाओगे। यही ध्यान का उद्देश्य है|