ग्रहण या महासंकट? (भाग 1)
सूर्य ग्रहण पर Analysis
धर्म और विज्ञान :- धर्म के बिना विज्ञान लंगड़ा! विज्ञान के बिना धर्म अन्धा है!..........आइन्स्टीन
21/06/2020 रविवार आषाढ़ कृष्ण पक्ष अमावस्या को सूर्य ग्रहण घटित होगा! इस विशेष एपिसोड में मैं आपका स्वागत करता हूँ!
ग्रहण या महासंकट
सूर्य ग्रहण पर हमारी टीम ने गहन अध्ययन करने के बाद जो जानकारी एकत्रित की है, उससे आपसे साझा करते है! और भविष्यवाणी के रूप कुछ बातें बताई जाएंगी! जब चंद्रमा,सूर्य पुर्थ्वी के बीच से गुजरता है तो ये ग्रहण एक चमकते हुए रिंग की तरह दिखाई पड़ता है! जिसे रिंग ऑफ फायर कहते है! और इस बार 21/06/2020 को हम ये नज़ारा देखेंगे! ये ग्रहण मिथुन राशि मे घटित होने वाला है! और वही साथ मे राहु-बुध का जड़त्व दोष भी बनेगा! इस से पहले सूर्ये ग्रहण 26/12/2019 में आया था! और उसके ठीक 5 दिन बाद ही कोरोना वायरस के बारे में चीन ने वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन को अवगत कराया था! अब जिज्ञासा इस बात की उड़ रही है कि पिछले ग्रहण ने पुर्थ्वी वासियों को हिला कर रख दिया और लाखों लोगों की मौत के साथ- साथ लाखो लोगो को बेघर भी कर दिया है| मिथुन राशि मे होने वाले इस ग्रहण के समय मंगल जलीय राशि मीन में स्थित सूर्य - बुध - चन्द्रमा और राहु को देखेंगे! जिससे अशुभ स्थिति का निर्माण होगा! और ऐसी स्थिति में बहुत बड़ी उथल-पुथल होने वाली है! 5-5 ग्रह वक्री का होना एक और अशुभ संकेत है! हम जब भी ग्रहण का नाम सुनते है तो हमारे मन मे एक नकारात्मक विचार उत्पन्न हो जाता है क्योंकि ग्रहण पर नकारात्मक शक्तियां जागृत हो जाती है! जिस कारण ऐसा होता है! ग्रहण के 7 दिन के भीतर बड़ी घटनाओं का घटना और 25-35 दिनों के बीच मे जो घटेगा वो आप सबको भाग २ में बताया जायेगा!
ये ग्रहण कहाँ-कहाँ दिखाई देगा?
ग्रहण काल भारत,मियामार, साउथ,रूस,मंगोलिया, श्री लंका,बांग्लादेश, थाईलैंड, मलेशिया, कोरिया, जापान,इंडोनेशिया, नॉर्थ ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, ईरान,इराक,अफगानिस्तान, पाकिस्तान ओर नेपाल में घण्ड़ग्रास रूप में दिखाई देगा! वही अफ्रीका के कुछ क्षेत्र जैसे यमन, ओमान/ साउथ चीन और कुछ भाग ताईवान भारत के कुछ हिस्सों में कंकणकृति के रूप में दिखाई देगा सूर्य ग्रहण!
4000 साल ईसा पूर्व 2137 /22 अक्टूबर को सूर्य ग्रहण का वर्णन चीन के ग्रन्थ शुंग चिग नामक में मिलता है!
ग्रहण का सम्बंध श्री राम से भी जुड़ा है!
हिन्दू धर्म में बाल्मीकि रामायण के अनुसार 23 सर्ग के 15 श्लोक में लिखा गया है कि सूर्य को राहु नामक राक्षस अपने काल का ग्रास बना लेता है! इसमें राहु को कारण बताया गया है! भगवान श्री राम और खरग के बीच युद्ध चल रहा था! इसमे कहा गया है कि सूर्य के पास लाल रंग के चकते नज़र आये! तेजी से दोपहर में शाम होने लगी और अचानक रात हो गयी! क्यूंकि वो ग्रहण का समय था! दिखाई देना लगभग असंभव था! पशु-पक्षी चिल्लाने लगे! उस वक्त पूर्ण ग्रहण का समय था!और राहु ने सूर्य को पूर्ण रूप से अपने ग्रास में ले लिया था लेकिन सूर्य की काली चमकती वो एक प्रभा मण्डल था!
ग्रहण के बारे में विचार
प्राचीन काल मे किसी भी ज्योतिष को सूर्य ग्रहण की पूर्ण जानकारी नही थी! 1500 साल पहले उस समय आर्यभट्ट ने अपनी पुस्तक आर्यभट्टी में वैज्ञानिक कारण बताया है! छाद यति शशी,सूर्यशशीनम बहती च बुच्छ:! अर्थात जब चन्द्रमा पर पुर्थ्वी की छाया पड़ती है! तब चंद्र ग्रहण आता है! जब पुर्थ्वी पर चन्द्रमा की छाया पड़ती है! तब सूर्य ग्रहण आता है!
Einstein का एक वाक्य :- धर्म के बिना विज्ञान लंगड़ा!विज्ञान के बिना धर्म अन्धा है!
(भाग 2 जल्द ही)