डिप्रेशन आखिर क्यों होता है?
क्या आप पिछले कुछ समय से ऐसे किन्हीं कारणों से डिप्रेशन में हैं, जिनका आपको कुछ पता ही नहीं है? क्या आप का कोई प्रियजन डिप्रेशन में है और आप उसकी कोई मदद नहीं कर पा रहे? डिप्रेशन की स्थिति के बारे में सद्गुरु की यह अंर्तदृष्टि शायद आप को वे उत्तर प्रदान कर सकेगी, जिन्हें आप ढूंढ रहे हैं।
सद्गुरुः मैं ये जो कुछ कह रहा हूं वह इसलिए नहीं है कि मुझे आप के बारे में कोई चिन्ता नहीं है या मैं संवेदनहीन हूं लेकिन इसलिए कि आपको जो रहा है, उसका स्वभाव, उसकी प्रकृति यही है|
अगर आप खुद को डिप्रेशन की स्थिति में ला रहे हैं, तो इसका मतलब यह है कि आप पर्याप्त मात्रा में तीव्र भावनायें और विचार अपने मन में पैदा कर रहे हैं, लेकिन गलत दिशा में। अगर किसी विशेष बात के लिए आपकी भावनायें बहुत प्रबल नहीं हैं या आप के विचार अत्यन्त तीव्र नहीं हैं तो आप का मन निराश नहीं हो सकता, आप डिप्रेशन में नहीं हो सकते। बात बस ये है कि आप ऐसे विचार और भावनायें पैदा कर रहे हैं जो आपके खिलाफ काम कर रही है, आप के लिए नहीं। तो आप अपने आपको डिप्रेशन की स्थिति में लाने के लिए पर्याप्त रूप से समर्थ हैं।
ज्यादातर डिप्रेशन खुद अपने ही बनाये हुए होते हैं
बहुत कम ही लोग वास्तव में किसी रोग के कारण डिप्रेशन में होते हैं। वे कुछ नहीं कर सकते, उनका डिप्रेशन अंदर से, किसी आनुवांशक कमजोरी या ऐसे ही किसी अन्य कारण से होता है। बाकी लगभग सभी लोगों को पागल किया जा सकता है क्योंकि स्थिर मानसिकता और पागलपन की सीमा रेखा में अंतर बहुत ही पतला, महीन होता है|
लोग इसे लगातार धक्का मारते रहते हैं, इसे पार करने में लगे रहते हैं। जब आप गुस्सा होते हैं तब आप इस बीच के अंतर को कम कर देते हैं। ऐसे वास्तव में आप जानते ही हैं कि आप इस महीन रेखा को जानबूझकर पार कर रहे हैं, अंतर को कम कर रहे हैं।
इसीलिये कई बार लोग ऐसा कहते हैं, मैं आज उस पर (गुस्से से) पागल हो गया था। कृपया देखिये, आप किसी पर पागल नहीं होते, आप बस पागलपन की ओर जा रहे होते हैं। आप 'किसी पर पागल' नहीं हो सकते। आप बस स्थिर मानसिकता की सीमारेखा को कुछ समय के लिए लांघते हैं, पागलपन की अवस्था तक पहुंचते हैं और फिर वापस आ जाते हैं।
आप इसे रोज़ क्यों नहीं आजमाते? हर दिन 10 मिनट, किसी पर जबरदस्त, तीव्र गुस्सा करके देखें। आप देखेंगे कि 3 महीनों में आप डिप्रेशन के रोगी हो जायेंगे। हां, क्यों नहीं अगर आप चाहते हैं तो ऐसा कीजिये, कोशिश कीजियेक्योंकि अगर आप उस सीमा रेखा को पार करते रहेंगे अगर आप रोज़ पागलपन करते रहेंगे तो एक दिन आप बिल्कुल वापस नहीं आ पायेंगे। तब आप को चिकित्सीय रूप से बीमार घोषित कर दिया जायेगा। आपको यह समझना चाहिये कि अगर एक पल के लिए भी आप बीमार होते हैं तो को आप बीमार ही हैं। शायद आप को ऐसी कोई मेडिकल रिपोर्ट न दी गई हो कि आप बीमार हैं पर आप उसी अवस्था की ओर जा रहे हैं, है कि नहीं? आपको क्या लगता है, आपको इस तरह आक्रोश प्रकट करने का अधिकार है? आप को क्या ऐसा लगता है कि डिप्रेशन में होना किसी खास तरह का अधिकार है, जिससे लोगों का ध्यान आप की तरफ रहेगा? अगर आप ऐसा ही करते रहे तो एक दिन ऐसा आयेगा कि आप वापस नहीं आ सकेंगे और उस दिन आप को एक डॉक्टर की जरुरत पड़ेगी|
डिप्रेशन- लोगों का ध्यान आकर्षित करने के लिए?
आपको जीवन में बीमार पड़ने पर बहुत से प्रलोभन मिलते हैं। अपने बचपन से ही आपको घरवालों का, दूसरों का अधिकतम ध्यान तभी मिलता था जब आप बीमार होते थे। जब आप तंदरुस्त, खुश रहते थे तो वे आप पर चिल्लाते थे, जब आप खुशी से किलकारी मारते थे तो वे बड़े-बूढ़े आप पर चीखते थे। जब आप बीमार पड़ते थे तो वे आप को पुचकारते थेजब आप बच्चे थे तो बीमारी आपके लिए अच्छी होती थी, एक तो माता-पिता, अन्य लोगों का ध्यान आप की तरफ रहता था, दूसरा आपको स्कूल जाने से छुट्टी मिल जाती थी। तो आपने बचपन में ही बीमार पड़ने की कला सीख ली थी। लोग आपकी तरफ ध्यान जो देते थे। लेकिन जब आप की शादी हो गई, तब से आपने मानसिक रूप से बीमार पड़ने की कला भी सीख ली है