कार्तिक माह में मानव धर्म के दीप जलाएं!
सुधी पाठकों को कार्तिक माह की अशेष शुभकामनाएं!
पौराणिक ग्रंथों में कार्तिक महीने को विशेष धार्मिक कार्य का महीना माना गया है। कार्तिक माह में गंगा सेवन और दान-पुण्य का विशेष महत्व है। वैसे तो हर माह, हर दिन विशेष होता है, किन्तु शरद पूर्णिमा से आरंभ होकर कार्तिक पूर्णिमा पर समाप्त होने वाला यह माह खास महत्वपूर्ण है। इस माह में अनेक पर्व-त्योहार जैसे करवाचौथ, अहोई अष्टमी, रमा एकादशी, धनतेरस, दीपावली, भैया दूज, छठ पूजा, गोपाष्टमी, देवउठनी एकादशी, कार्तिक पूर्णिमा या देव दीपावली या प्रकाश उत्सव बड़े धूमधाम से मनाए जाते हैं। मैंने बात पुराणों से शुरू की क्योंकि हर सभ्यता को अपनी संस्कृति की नींव को मजबूती से पकड़ कर रखना चाहिए। हमें ये कभी नहीं भूलना चाहिए कि हमारी सनातन वैदिक संस्कृति रूढ़िवादी नहीं थी, बल्कि एक मजबूत वैज्ञानिक शोध का ढांचा थी जिसे ऋषियों-मुनियों ने कठोर तपस्या और समझ-बूझ से निर्मित किया था। कार्तिक माह में सभी त्योहार शुभ संकेत और संदेश देते हैं जैसे दीपावली (अंधेरे में प्रकाश का सूचक), क्योंकि श्रीराम रावण (बुराई) का वध करके अयोध्या अपने घर वापस लौटे थे। महालक्ष्मी जी का सुख समृद्धि के लिए विशेष पूजन कर घर में आमंत्रित करना, छठ पूजा पर प्रत्यक्ष देवता सूर्य की आराधना करना, देवउठनी एकादशी पर भगवान विष्णु का नींद से जागना और सभी मांगलिक कार्यों का शुभारंभ होना एवं अत्यंत महत्वपूर्ण कार्तिक पूर्णिमा के दिन गुरू नानक देव जी का अवतरण होना। कलियुग में फैले अत्याचार को समाप्त करने के लिए ऐसे देव ने अवतार लिया जो सिक्खों के प्रथम गुरू हुए। कार्तिक पूर्णिमा का यह दिन गुरू नानक देव जी के जन्मदिवस की खुशी में प्रकाश उत्सव और देव दीपावली के रूप में मनाया जाने लगा। गुरू नानक देव जी जिनकी शिक्षा हर व्यक्ति को मन से धारण करनी चाहिए- परम् पिता परमेश्वर एक हैं! ईश्वर सब जगह और हर प्राणी में विद्यमान है! हर पल उस ईश्वर का सिमरण करो! ईमानदारी और मेहनत से अपना पेट भरो! सभी को समान नजर से देखो- स्त्री पुरुष समान हैं! लोभ-लालच कर संग्रह करना बुरी आदत है! यही सच्चा धर्म है जिसका हर मानव को अनुसरण करना चाहिए। यही हमारी वैदिक संस्कृति है और यही मानव धर्म हैआइए इस कार्तिक माह हम सभी मानव धर्म के दीप जलाएं!