कोरोना के अनुभव - सकारात्मक रहें, कोरोना को हराएं
कोरोना महामारी के अनुभव कई हिस्सों में हैं। पहला अनुभव उन लोगों का है, जिन्हें कोरोना नहीं हुआ है, लेकिन वे मास्क, सोशल डिस्टेंस के नियम मानने को मजबूर हो गए हैं। उनकी आमदनी कम हुई है और अब वे कम आमदनी पर जीने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे लोगों में एक हिस्सा उनका है, जिनकी नौकरी चली गई है अथवा उनकी आमदनी का जरिया बिलकुल बंद हो चुका है। वे शहर से गांव की ओर पलायन कर गए हैं और अब तक वापस काम पर यानी कि शहर नहीं लौटेहैं|
दूसरा अनुभव उन लोगों का है जिनके परिवार में किसी को कोरोना हुआ है। हालांकि इस हिस्से में भी अनुभव बंटे हुए हैंपहला हिस्सा उन लोगों का है, जिनके परिवार में कोई कमानेवाला भगवान को प्यारा हो गया। गौरतलब है कि भारत में कोरोना से मरने वालों की संख्या एक लाख को पार गई है। पूरी दुनिया की तुलना करें तो विश्व में मरने वाला हर 10वां व्यक्ति भारत से है। ऐसे परिवार के अन्य सदस्य नए सिरे से अपनी जिंदगी संवारने की कोशिश में जुटे हैं। इस अनुभव के दूसरे हिस्से में वे लोग हैं, जिनके परिवार में किसी को कोरोना हुआ और वे अस्पताल में इलाज कराकर सकुशल घर लौट आए हैंऐसे परिवार में बाकी सदस्य अनजान आशंका से ग्रस्त हैं और अतिरिक्त सावधानी बरत रहे हैं। लेकिन असल अनुभव उन लोगों का है जो कोरोना को मात देकर घर वापस आए हैं और नए सिरे से जिंदगी को आकार दे रहे हैंऔर यही अनुभव मैं आप सबके साथ साझा करना जरूरी समझती हूं। मेरे इस अनुभव से आशा है, उन्हें फायदा होगा, जिन्हें कोरोना नहीं हुआ है और जो इस वक्त कोरोना से पीड़ित हैं।
घर में भी रहें सतर्क
मैं स्वयं कोरोना को मात देकर नए सिरे से अपनी दिनचर्या व्यवस्थित करने में जुटी इसलिए मेरा मानना है कि सबसे पहले मास्क, सोशल डिस्टेंस आदि नियम हम अपने घर में फॉलो करेंहोता यह है कि बाहर ऑफिस में, बाजार में सतर्क रहते हैं, लेकिन घर अपने प्रति लापरवाह हो जाते मान लीजिए घर या रिश्तेदारी कोई व्यक्ति बाहर से कोरोना लक्षण लेकर घर आ गया। आप शुरू में उसे बुखार समझकर ट्रीट करते रहे और जब तक संभलते, पता चला सबको कोरोना हो गयाइसलिए सर्दी-जुकाम, सांस लेने तकलीफ, सीना भारी होना, बुखार आदि होने पर तुरंत चेकअप कराएं अथवा हेल्पलाइन नंबर कॉल करें। अब चूंकि आसानी से होने लगे हैं, तो इसमें दिक्कत वाली बात है नहीं।
कोरोना कमजोर अंगों पर अटैक करता है
जब तक कोरोना नहीं हुआ है, आप खुद को फिट समझते रहिए। लेकिन कोरोना होने के बाद ही पता चलता है कि कोई और समस्या भी बढ़ गई। दरअसल इम्युनिटी की कमी के कारण कोरोना वायरस शरीर के उनअंगों को ज्यादा नुकसान पहुंचाता है, जो पहले से कमजोर हैं। जैसे मुझे सबसे ज्यादा तेज बुखार, सांस लेने में तकलीफ और आंखों एवं सिर के एक हिस्से में बहुत तेज दर्द रहता था।
इसलिए मेरा मानना है कि कोरोना काल में हमें बॉडी चेकअप में फेफड़े, लीवर एवं गुर्दे का चेकअप जरूर करा लेना चाहिए और उसके अनुकूल दवा और डाइट लेना शुरू करना चाहिएसबसे बड़ी परेशानी है कोरोना मरीज 14 दिनों के क्वारंटीन पीरियड में किसी अपने से मिल नहीं सकता है। नर्सिंग स्टाफ भी दूरी बनाकर ट्रीटमेंट करते हैं। ये 14 दिन, 14 वर्ष के वनवास के समान प्रतीत होते हैंइस समय मरीज काफी मानसिक पीड़ा से गुजर रहा होता है। मुझे भी 14 दिनों तक कोई मिलने नहीं आया और मैंने ये बहुत गहराई से महसूस किया कि जिनकी विल पॉवर कमजोर हो, वो इस अकेलेपन एवं कोरोना के डर को नहीं झेल पाएंगे|
ऊजो का संचालन
• ऊर्जा को हम देख नहीं सकते, न इसकी कोई छाया होती है, न रूपफिर भी इसका अस्तित्व इतना ही आवश्यक है जितना जीवन में अन्य वस्तुओं का। हमारा शरीर इसी ऊर्जा से संचालित होता है। जिस प्रकार पानी के बहाव की ऊर्जा से चक्की चला कर बिजली पैदा की जा सकती है। उसी प्रकार हम अपनी ऊर्जा द्वारा हर असंभव काम कर सकते हैंकोरोना संक्रमित होने के बाद जब 14 दिनों तक उस बीमारी से अकेले ही लड़ना था, किसी भाई-बंधु का साथ नहीं मिलना था, तब मैंने इसी ऊर्जा को केंद्रित करना शुरू किया। ऊर्जा को समेटने का सबसे सरल उपाय है- प्रभु का ध्यान, सिमरनमैं यू-ट्यूब पर धीमी गति में विष्णु सहस्रनाम, ऊं का जाप और शिव मंत्र लगाकर सुना करती थी। प्रभु के आशीर्वाद से मेरी आध्यात्मिक ऊर्जा का विकास होता रहा और मुझे कोरोना का डर कभी नहीं लगा और मैं सही-सलामत घर लौटी|
योग-ध्यान का ही सहारा
मुझे अस्पताल जाकर पता चला कि दवा उतना काम नहीं करती, जितना आपकी विल-पॉवर। यदि आपकी आंतरिक शक्ति कमजोर हुई तो कोरोना वायरस ज्यादा परेशान करेगा। www.theomfoundation.org